उलझने
मन मेरा यहाँ लगता नही।धन मेरे पास बचा नही।
दिल यहाँ वहाँ भटक रहा है।
पर तन रिश्तों से बंधा हुआ है।।
उलझने इतनी बड़ रही है।
अपने पराये उलझ पड़े है।
रास्ते हमारे अलग अलग है।
पर मंजिल हमारी एक है।।
जीवन के सघर्ष में डूबे है।
हर दिन की उलझने बड़ी है।
हल होते ही देखो यारों।
दूसरी फिर वही खड़ी है।।
संघर्ष बिना जिंदगी का।
दुनियां में कोई आधार नही।
लक्ष्य को पाना ही यारों।
जिंदगी का सबसे बड़ा संघर्ष है।।
दुनिया में आना जाना तो।
इंसानों का लगा रहता है।
मायावी दुनिया का खेल बड़ा है।
जो समयानुसार बदलता रहता है।
जीवन का चक्र ऐसे ही चलता है।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com