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अपना

अपना

जय प्रकाश कुवंर
जिस भीड़ में खोये रहते हो।
कभी हंसते हो कभी रोते हो।।
इस जग की ऐसी रीति है।
सब रिश्ता बालू की भीति है।।
कहने को सब कोई अपना है।
सच बात की यह सब सपना है।।
अपनों पर मत अभिमान करो।
जग संग चल ईश्वर गान करो।।
कोई राम दूत बन आएगा।
जीवन को पार लगाएगा।।
नेकी दोस्ती पथ मत छोड़ो।
संगी से कभी न मुख मोड़ो।।
हो सकता ईश्वर ने उसे भेजा है।
जो तेरा जीवन सहेजा है।।
सुख दुख में वही तेरा अपना है।
बाकी तेरा बस केवल सपना है।। 
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