विद्या भारती प्रांतीय सप्तशक्ति संगम कार्यशाला 2025

- मूल्याधारित शिक्षा से सशक्त मातृशक्ति का सामूहिक संकल्प
पटना, 21 जुलाई 2025 | दिव्य रश्मि न्यूज़ डेस्क
भारती शिक्षा समिति, बिहार (कदमकुआँ कैंपस), पटना के प्रांगण में 21 जुलाई 2025 को विद्या भारती द्वारा आयोजित प्रांतीय सप्तशक्ति संगम कार्यशाला 2025 उत्साह, सहभागिता और संगठनात्मक ऊर्जा के साथ सम्पन्न हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता सरस्वती विद्या मंदिर, फुलवारी शरीफ (पटना) की प्रधानाचार्या एवं प्रांतीय संयोजिका—सप्तशक्ति संगम—श्रीमती सुसुम यादव ने की। कार्यशाला में माननीय अखिल भारतीय मंत्री श्रीमान ब्रह्मा जी राव, विद्या भारती उत्तर पूर्व क्षेत्र के माननीय क्षेत्रीय संगठन मंत्री ख्याली राम जी, भारती शिक्षा समिति एवं शिशु शिक्षा प्रबंध समिति, बिहार के प्रदेश सचिव श्रीमान प्रदीप कुमार कुशवाहा, क्षेत्रीय संयोजिका—सप्तशक्ति संगम—श्रीमती पूजा जी, तथा प्रांतीय प्रभारी श्री उमाशंकर पोद्दार विशिष्ट रूप से उपस्थित रहे। विद्या भारती दक्षिण बिहार क्षेत्र से जुड़े अनेक अधिकारीगण तथा प्रांतीय स्तर पर चयनित 20 प्रतिभागी बहनों ने सक्रिय भागीदारी दर्ज की।
कार्यशाला का उद्देश्य
इस प्रांतीय कार्यशाला का प्राथमिक लक्ष्य था—सप्तशक्ति संगम की अवधारणा को धरातल पर गति देना, विद्यालयों-परिवारों-समाज के बीच जीवंत सेतु बनाना, तथा मातृशक्ति व शिक्षिकाओं को ऐसी नेतृत्वकारी भूमिका में तैयार करना जिससे संस्कारयुक्त, राष्ट्रनिष्ठ एवं समाजोत्थानकारी शिक्षा वातावरण का विस्तार हो। प्रतिभागियों को संगठनात्मक संरचना, कार्य-पद्धति, संवाद-कौशल, सांस्कृतिक-शैक्षिक गतिविधियों के एकीकरण तथा स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप कार्ययोजना बनाने पर प्रशिक्षण दिया गया।
‘सप्तशक्ति’ की अवधारणा पर विमर्श
कार्यक्रम के प्रारंभिक सत्रों में वक्ताओं ने ‘सप्तशक्ति’ को समाज के सात प्रमुख मानवीय-नीतिशील एवं सांस्कृतिक आयामों को जोड़ने वाले एक मंच के रूप में रेखांकित किया। यद्यपि विभिन्न प्रांतों में इसकी व्याख्या स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप भिन्न हो सकती है, परंतु मूल ध्येय एक ही है—शक्ति-संवर्धन, संगठन-सुदृढ़ीकरण, और संस्कार-संचार। प्रतिभागियों को यह समझाया गया कि परिवार, विद्यालय, समाज, सेवा-कार्य, सांस्कृतिक विरासत, संगठनात्मक अनुशासन और राष्ट्रभक्ति—ये सब मिलकर उस सातस्तरीय सामूहिक बल का निर्माण करते हैं जिसे ‘सप्तशक्ति’ की संज्ञा दी जाती है।
अध्यक्षीय उद्बोधन: सुसुम यादव
प्रांतीय संयोजिका श्रीमती सुसुम यादव ने स्वागत भाषण में कहा कि विद्यालयों के माध्यम से बालक-बालिकाओं तक पहुंचने का सबसे सशक्त माध्यम मातृशक्ति व शिक्षिका वर्ग है। यदि ये दोनों वर्ग संगठन से जुड़कर नियमित संवाद और संस्कार सत्र चलाएं तो समाज में सकारात्मक परिवर्तन की रफ्तार कई गुना बढ़ सकती है। उन्होंने प्रतिभागी बहनों को जिला एवं खंड स्तर पर नियमित बैठकें, मूल्याधारित बाल सभा, संस्कार वर्ग तथा अभिभावक संपर्क अभियान चलाने के लिए प्रेरित किया।
प्रमुख अतिथियों के मार्गदर्शक विचार
ब्रह्मा जी राव (अखिल भारतीय मंत्री)
उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित आधुनिक शिक्षा मॉडल की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि शिक्षा तभी पूर्ण है जब वह व्यक्ति के चरित्र, परिवार की संस्कृति और राष्ट्र के दायित्व बोध को साथ लेकर चले।
ख्याली राम जी (क्षेत्रीय संगठन मंत्री, उत्तर पूर्व क्षेत्र)
उन्होंने संगठन की शक्ति को सफलता की अनिवार्य शर्त बताते हुए सांगठनिक अनुशासन, समयपालन और कार्य रिपोर्टिंग की संस्कृति विकसित करने का आग्रह किया।
प्रदीप कुमार कुशवाहा (प्रदेश सचिव, भारती शिक्षा समिति व शिशु शिक्षा प्रबंध समिति, बिहार)
उन्होंने बिहार के विद्यालय नेटवर्क, संसाधनों के बेहतर उपयोग तथा स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षित स्वयंसेवकों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
पूजा जी (क्षेत्रीय संयोजिका, सप्तशक्ति संगम)
उन्होंने महिला सहभागिता, नारी चेतना और सांस्कृतिक नेतृत्व को कार्यशाला का केंद्रीय तत्व बताते हुए बहनों से कहा कि "संस्कार घर से शुरू होते हैं; विद्यालय उन्हें दिशा देता है; संगठन उन्हें विस्तार देता है।" (अशाब्दिक आशय)
उमाशंकर पोद्दार (प्रांतीय प्रभारी)
उन्होंने प्रांतीय स्तर पर डेटा संकलन, कार्यप्रगति प्रपत्रों और जिला समन्वय तंत्र को सुव्यवस्थित करने के लिए सरल प्रारूप प्रस्तुत किए।
प्रशिक्षण मॉड्यूल: क्या-क्या हुआ?
कार्यशाला को पाँच प्रमुख प्रशिक्षण खंडों में विभाजित किया गया:
संगठन की संरचना व दायित्व-परिचय – प्रांतीय से लेकर विद्यालय स्तर तक कार्य विभाजन।
विद्यालय-समाज सेतु कार्यक्रम – अभिभावक मिलन, समुदाय संवाद, संस्कार शिविर।
मूल्याधारित एवं राष्ट्रनिष्ठ शिक्षा व्यवहार – प्रार्थना, देशभक्ति गीत, संस्कार कथा, दैनिक अनुशासन।
मातृशक्ति नेतृत्व विकास – बहनों के लिए स्थानीय नेतृत्व कौशल, वक्तृत्व, आयोजन प्रबंधन।
क्षेत्रीय कार्ययोजना निर्माण – डेटा शीट, कैलेंडराइज गतिविधियाँ, अनुवर्ती आकलन।
इंटरैक्टिव गतिविधियाँ
समूह चर्चा: चुनौतियाँ व समाधान।
भूमिका प्रदर्शन (रोल-प्ले): विद्यालय-अभिभावक संवाद का अभ्यास।
अनुभव साझा परिक्रमा: विभिन्न इकाइयों की सफल पहलें।
लघु कार्ययोजना ड्राफ्ट: प्रत्येक प्रतिभागी समूह ने अगले 3-6 महीनों की रूपरेखा तैयार की।
प्रतिभागिता और ऊर्जा
विद्या भारती दक्षिण बिहार क्षेत्र से आईं 20 प्रतिभागी बहनों ने पूरे दिन चलने वाले सत्रों में सक्रिय भागीदारी की। कुछ ने अपने विद्यालयों में चल रहे संस्कार वर्ग, योग सत्र, बालिका सुरक्षा कार्यशालाओं तथा उत्सव-आधारित शिक्षण गतिविधियों के अनुभव साझा किए। प्रतिभागियों के बीच परस्पर नेटवर्किंग को प्रोत्साहित करने हेतु संपर्क सूची, डिजिटल मैसेजिंग समूह और तिमाही ऑनलाइन फॉलोअप सत्र प्रस्तावित किए गए।
प्रमुख संकल्प (कार्यशाला निष्कर्ष)
कार्यशाला के समापन सत्र में निम्न प्रमुख बिंदुओं पर सामूहिक सहमति/संकल्प व्यक्त किए गए:
प्रत्येक सहभागी इकाई अपने क्षेत्र में मासिक संस्कार सभा आयोजित करेगी।
अभिभावकों से संपर्क बढ़ाने हेतु त्रैमासिक परिवार मिलन कार्यक्रम।
बालिकाओं के स्वास्थ्य, स्वावलंबन और सुरक्षा पर विशेष जागरूकता मॉड्यूल।
विद्यालयों में भारतीय सांस्कृतिक पर्वों का शैक्षिक एकीकरण—कहानी, गीत, नाट्य रूपांतरण।
डिजिटल युग में बच्चों की स्क्रीन आदतें व मूल्य शिक्षा पर मार्गदर्शक पुस्तिका तैयार करने का प्रस्ताव।
प्रांतीय स्तर पर डेटा-आधारित प्रगति रिपोर्टिंग और साझा संसाधन बैंक।
आगे की कार्ययोजना
प्रांतीय संयोजिका टीम ने सुझाव दिया कि जिला स्तर पर मिनी-कार्यशालाएँ अगस्त-सितंबर 2025 के बीच आयोजित की जाएँ, जिनमें इस प्रांतीय सत्र में प्रशिक्षित प्रतिभागी बहनें रिसोर्स पर्सन की भूमिका निभाएँगी। साथ ही, ऑनलाइन ओरिएंटेशन, मासिक क्रियान्वयन रिपोर्ट, और नवंबर 2025 में प्रस्तावित प्रादेशिक पुनरावलोकन बैठक की रूपरेखा भी रखी गई।
धन्यवाद ज्ञापन व समापनकार्यक्रम का समापन प्रार्थना, राष्ट्रभाव से ओतप्रोत गीत तथा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। आयोजकों ने संस्थागत सहयोग के लिए भारती शिक्षा समिति, बिहार (कदमकुआँ), तथा सरस्वती विद्या मंदिर, फुलवारी शरीफ परिवार का विशेष आभार व्यक्त किया। प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र (जहाँ लागू) एवं कार्यसामग्री किट वितरित की गई।
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