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मोबाइल पर पति से पत्नी के बात

मोबाइल पर पति से पत्नी के बात

(भोजपुरी कविता )
कतना सुनाईं अपना दिलवा के बतिया।
अंखिया रोवत बाटे, फाटत बाटे छतिया।।
क‌इनीं बियाह घरे हमारा के छोड़ ग‌इनीं।
चार दिन साथ रह के, अपने परदेशी भ‌इनीं।।
आषाढ़ के महीना हवे, खुब पानी पड़त बा ऽ।
घाटा का गरजला से, अकेले मन खुब डरत बा।।
मंड़‌ई का चुवला से, सारा देह भींग जात बा।
दिन क‌इसहूं काटत बानी, रात ना सोहात बा।।
चूल्हा चौका ठंडा पड़ल, सतुआ भूंजा खात बानी।
जतना बरखा होत बाटे, ओतने हम हहरत बानी।।
कलुवा बिआह क के, पत्नी संगे रह ग‌इल।
रोज ताना मारत बा भउजी, भैया कहाँ चल ग‌इल।।
राखत बानी फोन, रउरा जल्दी घरे चल आईं।
नया नया बिआह क‌इके, बरखा में एतना मत तड़पाईं।। 
 जय प्रकाश कुंवर
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