पुस्तक विमर्श सह कवि सम्मेलन में ‘हिन्दू राष्ट्र’ की अवधारणा पर गंभीर मंथन, कवियों ने बाँधा समां”

संवाददाता: दिव्य रश्मि न्यूज़ ब्यूरो
- रामेश्वर महाविद्यालय में एन.बी.आई. संस्था के तत्वावधान में हुआ आयोजन
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में विधान पार्षद वंशीधर ब्रजवासी, प्रो. डॉ. संजय पंकज, वरिष्ठ साहित्यकार अरविंद कुमार, गया से दीपक कुमार, और जहानाबाद से प्रख्यात चिंतक डॉ. भगवानलाल सहनी मंचासीन थे। इन सभी विद्वानों ने डॉ. सहनी द्वारा लिखित नवीनतम कृति “राष्ट्र की अवधारणा और हिन्दू” पर गंभीर विमर्श प्रस्तुत किया।
वक्ताओं ने पुस्तक की विषयवस्तु की गहराई और समय-सापेक्ष उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह कृति न केवल हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना को स्पष्ट करती है, बल्कि आज के सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में उसके महत्व को भी रेखांकित करती है। उन्होंने कहा कि आज जब भारतीय समाज संवेदनात्मक क्षरण और मूल्य विघटन के दौर से गुजर रहा है, तब ऐसे ग्रंथ संस्कृति, सभ्यता और आत्मबोध के पुनर्जागरण का कार्य करते हैं।
डॉ. संजय पंकज ने कहा कि “यह पुस्तक हिन्दू जीवनदृष्टि की व्यापकता को दर्शाती है, जो किसी भी सम्प्रदाय के विरोध में नहीं, बल्कि सर्वसमावेशी राष्ट्र अवधारणा को पुष्ट करती है।” वहीं, वंशीधर ब्रजवासी ने इसे 'वर्तमान समय की मांग' बताया और युवाओं से आह्वान किया कि वे अपनी जड़ों से जुड़े।
दूसरा सत्र: कवि सम्मेलन में गूंजीं संवेदनाओं की आवाजें
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में साहित्यिक अभिव्यक्ति की रसधारा बही। एक सुंदर कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें डॉ. संजय पंकज, हेमा सिंह, सतीश कुमार साथी, राजीव नयन राहुल, सविता राज, अरविंद कुमार, और दीपक कुमार ने मंच से अपनी स्वरचित कविताएं पढ़ीं।
इन रचनाओं में समकालीन सामाजिक विडंबनाएं, मानवीय रिश्तों की टूटन, देशभक्ति, और प्रकृति के प्रति जागरूकता जैसे विषय प्रमुख रहे। कवियों ने श्रोताओं को कभी भावविभोर किया, तो कभी हास्य के रंगों से सराबोर कर दिया।
मंच संचालन कुशलता से सविता राज और गोपाल फलक द्वारा किया गया, जिन्होंने दोनों सत्रों में वक्ताओं और रचनाकारों की भावनाओं को श्रोताओं तक प्रभावशाली ढंग से पहुँचाया।
गणमान्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस अवसर पर कई गणमान्य अतिथि भी उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से पर्यावरणविद् सुरेश कुमार गुप्ता, पूर्व मेयर सुरेश कुमार पप्पू, समाजसेवी संजीव कुमार, साहित्यप्रेमी प्रमोद नारायण मिश्र, आनंद कुमार, और रूपक कुमार शामिल रहे। सभी ने इस आयोजन को सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक उत्थान की दिशा में एक प्रेरक कदम बताया।
आयोजन की सफलता और समाज को संदेश
इस आयोजन ने न केवल पुस्तक विमर्श के ज़रिए विचारों की गहराई को प्रस्तुत किया, बल्कि कवि सम्मेलन के माध्यम से जनभावनाओं की अभिव्यक्ति का अवसर भी प्रदान किया। यह कार्यक्रम एक सफल पहल के रूप में सामने आया, जो विचार, साहित्य और संस्कृति के त्रिवेणी संगम का प्रतीक बन गया।
एनबीआई संस्था के इस प्रयास की सराहना करते हुए स्थानीय बुद्धिजीवियों ने आशा जताई कि भविष्य में भी ऐसे आयोजन समाज को विचारशीलता और संवेदनशीलता के मार्ग पर आगे बढ़ाते रहेंगे।
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