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गुमान

गुमान

जय प्रकाश कुवंर
चेला चपाटी सब आगे निकल ग‌इले।
बबुआ गुमान में उहें बैठल रह ग‌इले।।
बाबूजी समझलन जे बबुआ खुब पढ़त बाड़े।
प‌इसा खरच क‌राके खुब आगे बढ़त बाड़े।।
बबुआ त लागल रहले खाली इयारी में।
दोस्त सब लागल रहे अपना तैयारी में।।
जेह दिन रिजल्ट आइल, मुंह लटक ग‌इल।
बाबूजी पुछत बाड़े बबुआ हो इ का भइल।।
तोहरा त गुमान रहे, अबकी हमहीं बाजी मारब ऽ।
सब दोस्त लोग के हम परीक्षा में पछाड़ब ऽ।।
बाप के प‌इसा खरच क‌इके, खुब मौज क‌इल ऽ।
चेला चपाटी का फेर में पड़, राह से भटक ग‌इल ऽ।।
अबहूं से मौका बा, बबुआ हो सुधार कर ऽ।
गरीब बाप का प‌इसा के, कुछ त खियाल कर ऽ।।
बाबूजी का मरला का बाद, मन खुब पछताई।
पूकाफार के रोवत रहब, दोस्त सब पुछहूं ना आई।।


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