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पिता

पिता

पिता शब्द में है ढ़ेर सारा प्यार
परवाह , समर्पण, त्याग, 
वात्सल्य का अंबार
एक मजबूत स्तंभ होते हैं पिता
बरगद का पेड़ होते हैं पिता
हर समस्या का हल हैं पिता
उपवन के माली हैं पिता
चोट लगने पर बच्चे को डांटते हैं पिता
चोट पर मलहम लगाकर पुचकारते हैं पिता
बच्चों के कवच बन दुनिया से बचाते हैं पिता
विषम परिस्थितियों से जूझना भी सिखाते हैं पिता
पिता असीम स्नेह के प्रतीक होते हैं
जिंदगी रूपी युद्ध के सेनापति होते हैं।
-सविता शुक्ला मुंबई
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