उम्र के साथ सब कुछ बदल जाता है,
बचपन का खेल भी अब नहीं भाता है।ज़िम्मेदारी का भाव जीने ही नहीं देता,
मरने का भाव दायित्व याद दिलाता है।
घूमना फिरना देशाटन अच्छा लगता था,
अब तन्हा जीवन, यादों संग होना भाता है।
चाट पकौड़ी और मिठाई बहुत प्रिय थी,
भूल गये चग्घे मग्घे, लौकी खाना भाता है।
कभी घूमते कोट पैंट पहन, बाबू से बनकर,
सहज सरल पहनावा, कुर्ता याद आता है।
बहुत घूमते थे गाड़ी में, कोठी बंगले में रहते,
अब अपना कमरा अपना बिस्तर हमें सुहाता है।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें
https://www.youtube.com/divyarashminews
#Divya Rashmi News,
#दिव्य रश्मि न्यूज़
https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com