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अभिभावक की दुआ

अभिभावक की दुआ

तुम खुश रहना मेरे बच्चों,
मैं अपना काम चला लुंगा।
तुम सब पर दोष न आयेगी।
मैं कुल की लाज बचा लुंगा।।
गदहा जैसा इन पीठों पर,
तुम सबका बोझ मैंने ढोया है।
मैं नहीं जानता फूल जगह,
सब कांटे ही कांटे बोया है।।
जब फूल खिलने के दिन आए,
मुझको कांटों का हार मिला।
मैं सुख की आश में था बैठा,
मुझे दुखों का उपहार मिला।।
अब तन में शक्ति नहीं फिर भी,
जैसे तैसे कुछ खा लुंगा।
कोई पुछेगा तुम भूखे हो,
मैं पेट फुला कर दिखला दूंगा।।
मन की बातें कोई क्या जाने,
मैं हंसता मुख दिखला दूंगा।
घर की इज्जत पर आंच न आयेगी,
मैं कुल की लाज बचा लूंगा।। 
 जय प्रकाश कुंवर
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