बिहार में हर गांव हर बसावटों तक पहुंच रही पक्की सड़क
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- अब तक 1 लाख 19 हज़ार से अधिक बसावटों को मिली बारहमासी एकल संपर्कता।
बिहार सरकार ने ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए अब तक राज्य की 1,19,816 बसावटों को बारहमासी एकल संपर्कता का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। इन योजनाओं के तहत कुल 1,18,511 किलोमीटर लंबाई में ग्रामीण सड़कों का निर्माण कराया गया है, जिससे गांव-गांव तक संपर्कता सुलभ हुआ है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत शुरुआत में केवल 1,000 या उससे अधिक आबादी वाले गांवों को ही जोड़ने का प्राथमिकता थी, लेकिन बिहार ने इस दिशा में पहल करते हुए वर्ष 2006-07 में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरू की और 500 से 999 आबादी वाले बसावटों को भी पक्की सड़कों से जोड़ने का बीड़ा उठाया। इसके बाद उग्रवाद प्रभावित 11 जिलों में 250 या उससे अधिक और अन्य जिलों में 500 या उससे अधिक आबादी वाले गांवों को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में शामिल किया।
वर्ष 2013-14 में राज्य सरकार ने 'मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना' की शुरुआत की, ताकि राज्य के सभी जिलों में समान रूप से 250 या उससे अधिक की आबादी वाले वसाबटों को सड़क संपर्कता दी जा सके।
अब तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 57,102 बसावटों को जोड़ते हुए 53,283 किमी और मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना, ग्रामीण टोला संपर्क निश्चय योजना समेत अन्य योजनाओं के माध्यम से 63,174 बसावटों को जोड़ते हुए 64,926 किमी लंबाई की सड़कों का निर्माण हो चुका है।
वर्ष 2023 में राज्य सरकार ने ‘मुख्यमंत्री ग्रामीण संपर्क योजना (अवशेष)’ की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य 100 या उससे अधिक आबादी वाले अब तक छूटे बसावटों को भी बारहमासी एकल संपर्कता से जोड़ना है। समीक्षा में 13,814 बसावटें (16,652 किमी) ऐसी पाई गईं जिन्हें अभी तक पक्की सड़कों से नहीं जोड़ा गया था। इनमें से 3,494 बसावटों (3,734 किमी) के लिए 4,462.49 करोड़ रुपये की लागत से पथों की स्वीकृति दी जा चुकी है। वर्ष 2025-26 तक 5,900 करोड़ रुपये की लागत से लगभग 1,800 अनजुड़े बसावटों (4,500 किमी) को संपर्कता प्रदान करने हेतु स्वीकृति प्रदान किए जाने का लक्ष्य है।
मुख्यमंत्री ग्रामीण संपर्क योजना (अवशेष) के तहत बनने वाली सभी सड़कों का निर्माण कार्य पूरा होने के उपरांत 6 वर्षों तक उसका सतत् अनुरक्षण किया जाना है, जिसके पाँचवे वर्ष की प्रथम तिमाही में पुनः कालीकरण का प्रावधान है, ताकि लंबे समय तक ग्रामीण जनता को बेहतर सड़क की सुविधा प्राप्त हो।
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