केर और बेर का साथ, मर्यादाओं का बन्धन है,
मर्यादा का चीरहरण, केर को फटना पडता है।बनी रहे शान्ति जग में, ताक़त का अहसास ज़रूरी,
बुद्ध की प्रासंगिकता हेतु, युद्ध भी करना पड़ता है ।
चाकू खरबूजे का रिश्ता, बस कटना खरबूजे को,
मुस्लिम हिन्दू भाईचारा, चारा बनना बस दूजे को।
पहला तो बस भाई है, अल्पसंख्यक पहचान बनी,
सदा सहिष्णु हिन्दू दोषी, सहन कर रहा दूजे को।
नमक और दूध का रिश्ता, दूध को फटना पडता है,
मानवता हित विष घट तो, शिव को पीना पड़ता है।
सभी देवगण धर्म के हित, अस्त्र साथ में रखते हैं,
सोच रहे बुद्ध बन जीना, अधर्मी से मरना पडता है।
उठो पार्थ! अब अस्त्र सँभालो, धर्मयुद्ध की बेला में,
भाई चारा मिथ्या भ्रम है, कुरूक्षेत्र की रण बेला में।
किंचित भी अवसाद करो ना, कौन बचा कौन मरा,
धर्म पालन करना सीखो, राष्ट्र हितों की बेला में।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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