श्रीतुकाराम-गाथा : भावार्थबोधिनी हिंदी टीका*-- मेरी दृष्टि में
डॉ रामकृष्ण मिश्रभारतीय भाषाओं की विविधता और समय-समय पर राजनीतिक उथल-पुथल में भाषा को भी लपेट लेना एक प्रकार की विडंबना ही है। कुछेक मराठी नेतृत्व के मानसिक वैचारिक स्वार्थ में स्वभाषा के प्रति व्यामोह का प्रकटीकरण जहाँ चिन्ता का विषय बनता है, वहीं संतों की वाणी का सामर्थ्य समस्त मानव मात्र के हित के लिए प्रतिबद्ध हो जाता है। यह दक्षिण-उत्तर के व्यर्थ भेद को समाप्त कर देता है। विशेष कर संतों की वाणी ने यथासमय मानव जाति मात्र को चैतन्य किया है। मध्यकाल में धार्मिक विचारों की ध्वनि-प्रतिध्वनि संपूर्ण भारत में अनेक भाषाओं में गूँजती रही हैं। संत तुकाराम, तुलसी , कबीर आदि ने मनुष्य जीवन की उन्नति के लिए आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने हेतु स्तुत्य प्रयास किए हैं। हिन्दी एकमात्र ऐसी भाषा है, जिसमें सभी भाषाओं की वाणी मुखरित कर देने की क्षमता है। मराठी भाषा संस्कृत से विकसित प्राकृत का आधुनिक रूप है। यह महाराष्ट्र की बहुत प्रतिष्ठित भाषा है, जिसमें संत वरेण्य तुकाराम जी ने ईश्वर संबंधी , मानुषी जीवन के सुख और शांतिमय गतिविधियों के प्रयोगात्मक संकेतों के साथ अपनी वाणी को मुखर किया है, जो अभंगों में संकलित हैं। यह सुखद संयोग ही कहा जाए जो अधीति मानसमनीषी डाॅ• राधानंद सिंह जी ने मारुति सत्संग मंडल पुणे के संकल्प को साकार करने हेतु संत तुकाराम जी के मराठी भाषा में अंकित ४२०० अभंगों की हिन्दी टीका प्रस्तुत करने का गुरुतर भार ग्रहण कर लिया।
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श्री तुकाराम गाथा : भावार्थबोधिनी हिन्दी टीका 1336 पृष्ठों का अद्भुत ग्रंथ है, जो दो खंडों में मीनाक्षी प्रकाशन दिल्ली द्वारा प्रकाशित है। टीकाकार ने प्रत्येक अभंगों के भावार्थ के साथ यथासंभव उसके विशेषार्थ भी प्रस्तुत किए हैं। साथ ही अभंगों के भावार्थ के अनुरूप तुलसीदास जी के रामचरितमानस और उनके अन्य ग्रंथों के छंद,चौपाई आदि संदर्भ के रूप में प्रस्तुत किए गए हैं।
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टीकाकार ने अपने प्राक्कथन में ही संत तुकाराम और संत तुलसीदास का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है, जिससे निस्संदेह दोनों संतों के विचारों में साम्य का संयोग दृष्टिगत होता है। वैसे भी यह अपूर्व ग्रंथ साहित्यिक-आध्यात्मिक शोधार्थियों के लिए सर्वथा उपयोगी है। ऐसी मेरी मान्यता है।
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डाॅ• राधानंद जी के द्वारा संपादित यह ग्रंथ साहित्याकाश में दिव्य नक्षत्र की तरह होगा। इसके प्रधान अनुवादक प्रो• श्यामसुंदर कलंत्री के साथ इससे जुड़े सभी सदस्य यशस्वी हों,ऐसी मेरी अंत:करण से मंगलकामना है। इति शुभम्।
डाॅ• रामकृष्ण
संज्ञान, विष्णु पद मार्ग, करसीली ,गयाजी। च भा--9801489728
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