भारत ने मिसाइल नहीं 'मिसाल' दागी है
डॉ राकेश कुमार आर्य
भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का प्रतिशोध लेकर न केवल पाकिस्तान को बल्कि सारे संसार को यह दिखा दिया है कि वह विकल्पविहीन संकल्प का धनी राष्ट्र है। उसका एक ही संकल्प है - पौरुष। उसका एक ही विकल्प है - पराक्रम। उसके लिए एक ही लक्ष्य है - राष्ट्रीय एकता। भारत के राजनीतिक दलों ने देश की सरकार के पीछे खड़े होकर भी संसार को यह दिखा दिया है कि उन सबके लिए राष्ट्र प्रथम है। अब राजनीति नहीं राष्ट्र नीति का समय है और जब राष्ट्रनीति की बात आ रही हो तो ' हम सब एक हैं।'
भारत ने अपने पौरुष और पराक्रम का परिचय देते हुए पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर एक साथ मिसाइलें दागी और आतंकी पाकिस्तान को यह दिखा दिया कि यदि वह भारत के नागरिकों पर भविष्य में फिर हमला कराएगा तो भारत पाकिस्तान को जहन्नुम की आग में धकेल देगा। आज का भारत वह भारत है जो अपने किसी भी नागरिक की आतंकी हमले में की गई हत्या की तेरहवीं होने से पहले प्रतिशोध लेने की क्षमता रखता है। नई संकल्प शक्ति और ऊर्जा से भरा हुआ राष्ट्र आज अपनी सशस्त्र सेनाओं पर गर्व और गौरव की अनुभूति कर रहा है। साथ ही अपने देश के यशस्वी - तेजस्वी प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व पर भी अपने आप को गौरवान्वित अनुभव करता है। कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने सारी राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रनीति के प्रति भारत के अटूट राजनीतिक और सांस्कृतिक मूल्य में आस्था व्यक्त करते हुए ठीक ही कहा है कि "समय एकता और एकजुटता का है।" इसी प्रकार असदुद्दीन ओवैसी ने भी हमारी राष्ट्रीय एकता के प्रति अपनी निष्ठा को अच्छे शब्द प्रदान किए हैं।
आज हम सबको यह समझना होगा कि भारत ने पहलगाम के आतंकी हमले का प्रतिशोध लेते हुए पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर मिसाइल नहीं दागी हैं बल्कि भारत ने लंबे भविष्य के लिए एक मिसाल दागी है । आने वाली पीढ़ियां इस मिसाल को अपने लिए मिसाइल के रूप में काम में लेंगी। भारत ने यह भी सिद्ध किया है कि वह "सत्यमेव जयते " की परंपरा में विश्वास रखने के उपरांत भी "शस्त्रमेव जयते " में भी विश्वास रखता है। वह बुद्ध का देश होकर भी युद्ध को भी आवश्यक मानता है और जब यह युद्ध आतंकियों ,देश के शत्रुओं तथा देश की एकता और अखंडता को तार-तार करने वाली शक्तियों के विरुद्ध हो रहा हो तो सारा राष्ट्र 'एक' होकर खड़ा होता है । इसी को खूबसूरत शब्दों में भारत के लोग "अनेकता में एकता" के रूप में प्रस्तुत करते हैं और समय आने पर यह भी दिखा देते हैं कि हमारी अनेकताएं किस प्रकार किसी एक विशेष मोड़ पर आकर एकता में परिवर्तित हो जाती हैं ?
सारे राष्ट्र ने अपनी एकता और एकजुटता का परिचय देते हुए अपने सभी शत्रुओं को यह दिखा दिया है कि हम वीर महाराणा प्रताप, शिवाजी, शेखर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की क्रांतिकारी विचारधारा में विश्वास रखने वाले उनके समर्पित सिपाही हैं। अबसे 54 वर्ष पहले जब 1971 में देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व में देश ने पाकिस्तान को तोड़कर बांग्लादेश का निर्माण करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी तो उस समय मेरे अग्रज स्वर्गीय प्रोफेसर विजेंद्र सिंह आर्य जी ने एक कविता लिखी थी। उसकी ये पंक्तियां आज के संदर्भ में बहुत ही सार्थक हैं :-
"मित्र को हैं हम फूल से कोमल,
शत्रु को फौलाद हैं हम।
वीर शिवा, शेखर, राणा की
वही वज्र औलाद हैं हम।।
आज हमने 26/ 11 का प्रतिशोध लेकर उस घटना में मारे गए लोगों की आत्मिक शांति के लिए समझो शांति यज्ञ संपन्न किया है । इसके साथ ही भारत की संसद पर हुए हमले में बलिदान हुए अपने सैनिकों को सारे राष्ट्र ने आज विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित की है। पाकिस्तान को आज के भारत के संदर्भ में यह ध्यान रखना चाहिए कि :-
हम कर देते हैं सर्जिकल भी, इतिहास हमें बतलाता है।
'सिंदूर' की कीमत क्या होती है, खोल खोल समझाता है।।
नहीं मिसाइलें दागी हमने, सच में दागी एक मिसाल है।
सारी दुनिया देख रही है भारत कितना महान विशाल है।।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस कार्यवाही को अपनी ओर से ' ऑपरेशन सिंदूर' का नाम दिया है। 'ऑपरेशन सिंदूर' के माध्यम से नव ऊर्जा और राष्ट्रभक्ति की भावना से भरे भारत देश ने आज यह भी सिद्ध कर दिया है कि वह विजयदशमी का पर्व ऐसे ही नहीं मनाता है। उसकी परंपरा के वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कारण और प्रभाव हैं । ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से हमने पाकिस्तान को बताया है कि एक चुटकी सिंदूर का मूल्य क्या है और इसके लिए उसे क्या भुगतान करना है ?
हमने आतंकवादियों के खात्मे के लिए श्रीराम और श्री कृष्ण जी के 'सफाई अभियान' को नई गति दी है। उनके प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त करते हुए स्पष्ट किया है कि हम सचमुच में आपके उत्तराधिकारी हैं । हम आतंकवादियों का, देश - धर्म और संस्कृति के शत्रुओं का और उन सभी शक्तियों का विनाश करके ही दम लेंगे जो हमारे वैदिक संस्कृति का विनाश करने पर तुली हुई हैं।
पहलगाम आक्रमण में हमने अपने जिन बहन भाइयों को खोया है, उनकी आत्मा की शांति के लिए आज सारे राष्ट्र ने मिलकर शांति यज्ञ संपन्न किया है। आज पहली बार लगा है कि जो लोग आतंकी हमले में मारे जाते हैं, उनके साथ देश कैसे खड़ा हो जाता है ? एक साथ सैकड़ों आतंकवादियों को जहन्नुम की आग में धकेलकर भारत के पराक्रम ने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए अपने सभी देशबंधु - भगिनियों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है। अब से पहले पाकिस्तान हमसे आतंकी घटनाओं के सबूत मांगा करता था। अब हमने अपने पराक्रम के सबूत पाकिस्तान को दे दिए हैं। वह चाहे तो इन सबूतों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को भी दिखा सकता है। यदि वह ऐसा करता है तो भी हमको गर्व होगा।
इस सब के उपरांत भी हम सबको अभी और भी अधिक सावधान रहना होगा। मानवता बनाम आतंकवाद के इस युद्ध में अभी हमें कई संभावित परिस्थितियों से गुजरना होगा। हम अपनी एकता का परिचय देते हुए अपनी सशस्त्र सेनाओं के साथ साथ अपने प्रधानमंत्री के हाथ मजबूत कर प्रत्येक समस्या और प्रत्येक स्थिति से पर विजय प्राप्त करेंगे । इस एक संकल्प के साथ हमको आगे बढ़ना होगा।
( लेखक डॉ राकेश कुमार आर्य सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता हैं।)
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