कोमल चिंतन की रागात्मकता है डा नीतू सिंह की रचनाओं में

- साहित्य सम्मेलन में काव्य-संग्रह 'क्या लिखूँ मैं' का हुआ लोकार्पण, आयोजित हुई कवि गोष्ठी
पटना, १३ मई। डा नीतू सिंह एक संवेदनशील और सजग कवयित्री हैं। लिखने के पूर्व प्रचुर चिंतन करती हैं। वह विचार करती हैं कि कौन सा विषय है, जो अबतक किसी की लेखनी से अछूता रह गया? या फिर क्या लिखें? जो छूटा हुआ है! कैसे लिखें? कि वह औरों से भिन्न दिखे! इसीलिए इनकी रचनाओं में, कोमल चिंतन की रागात्मकता लक्षित होती है। जीवन के प्रति सात्त्विक राग के साथ इनमे उत्साह और राष्ट्र-प्रेम भी है।
यह बातें मंगलवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में कवयित्री के काव्य-संग्रह 'क्या लिखूँ मैं' के लोकार्पण-समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि कभी नेपाली ने अपने एक गीत के ज़रिए यह कहा था कि “लिखता हूँ तो मेरे आगे सारा ब्रह्माण्ड विषय भर है"। इस अथाह, अगम्य, अपरिमेय, विविध रहस्यों से भरे ब्रह्माण्ड में अनन्त विषय हैं। जीवन के ही रहस्य-लोक में इतने विषय हैं कि, बड़े-बड़े चिंतक, चिंतन छोड़ कर पूर्ण शरणागति को प्राप्त कर जाते हैं। इसलिए लेखन के विषय की कोई सीमा नहीं है। यह सर्जक की प्रतिभा पर है कि विषयों के महाभंडार से वह सृजन के कितने विम्ब और विषय निकाल पाता है। संभव है कि वह अपने पूर्वज और अग्रज कवियों अथवा पूर्वजा, अग्रजा कवयित्रियों के विषय और भावों पर ही अपनी भी रचना करे, किंतु उसकी दृष्टि और शब्द-मणिका भिन्न हो सकती है। यह अनिवार्य भी है, अन्यथा कविता, पूर्व की कविता की प्रति-कृति लगेगी।
इसके पूर्व पुस्तक का लोकार्पण करते हुए 'डौलफ़िन मैन' के रूप में सुविख्यात मनीषी विद्वान और श्री माता वैष्णव देवी विश्वविद्यालय, कटरा के पूर्व कुलपति प्रो रवींद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि नीतू जी मेरी छात्रा रही हैं। इन्होंने मेरे निर्देशन में शोध किया। विज्ञान की छात्रा और व्याख्याता होकर भी इन्होंने काव्य-साहित्य में जो योगदान दे रही हैं, उससे हमारा गौरव बढ़ा है। ये प्रतिभाशाली हैं। इससे आशा बँधती है कि काव्य-सृजन में भी इनकी प्रतिभा से साहित्य-प्रेमी लाभान्वित होंगे। उन्होंने भारत के नदियों की सफ़ाई और प्लास्टिक के कमसेकम उपयोग पर बल दिया। उन्होंने यह भी बताया कि गंगा की डौलफ़िन सबसे प्राचीन प्रजाति है।
आरम्भ में अतिथियों का स्वागत करते हुए, सम्मेलन के साहित्यमंत्री भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि कविता हर व्यक्ति के भीतर मौजूद रहती है। वह आत्मा के साथ निरन्तर संवाद करती है। नीतू जी का यह संग्रह उनके भीतर की छटपटाहट की अभिव्यक्ति है। इनके पास एक दृष्टि है, जो मनुष्यता के पक्ष खड़ा होने की ऊर्जा प्रदान करती है।
समारोह के विशिष्ट अतिथि और बिहार के भवन निर्माण विभाग के उपमहाप्रबंधक आशुतोष अर्थव, ओरियंटल बीमा निगम के पूर्व महाप्रबंधक नागेंद्र कुमार सिंह, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, प्रो शोभा श्रीवास्तव, सुदामा सिंह और ऋषि केश सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए, लोकार्पित पुस्तक की कवयित्री को अपनी शुभकामनाएँ दीं।
इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ कवि डा रत्नेश्वर सिंह, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, वरिष्ठ शायर आरपी घायल, डा रमाकान्त पाण्डेय, शायरा शमा कौसर 'शमा', कुमार अनुपम, डा सुमेधा पाठक, ई अशोक कुमार, डा शालिनी पाण्डेय, डा एम के मधु, सदानन्द प्रसाद, सुधा पाण्डेय, मोईन अब्र, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, सूर्य प्रकाश उपाध्याय आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं का सुमधुर पाठ किया। मंच का संचालन कवि ब्रह्मानंद पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन प्रो सुशील कुमार झा ने क्या।
वरिष्ठ साहित्यकार डा निरंजन श्रीवास्तव, विभारानी श्रीवास्तव, सैयद मोईन अख़्तर, डा सपना कुमारी, डा गोपाल शर्मा, प्रो रीता कुमारी, डा दिलीप कुमार केडिया, डा पिंकी प्रसाद, परमानन्द उपाध्याय, शुभ्रा शर्मा, गौरव अरण्य, राणा मोतीलाल सिंह, रवि कुमार सिन्हा, उमा कुमारी, संजय कुमार शुक्ला आदि बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
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