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शंखनाद महोत्सव में 1000 वर्ष पुराने दुर्लभ सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का दर्शन!

शंखनाद महोत्सव में 1000 वर्ष पुराने दुर्लभ सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का दर्शन!

  • 23 देशों के लोगो का सहभाग; शंखनाद महोत्सव बनेगा आध्यात्मिक पर्यटन का नया अध्याय!
पणजी (गोवा) – 17 से 19 मई 2025 के दौरान फर्मागुडी, फोंडा स्थित गोवा इंजीनियरिंग कॉलेज के मैदान में सनातन संस्था द्वारा आयोजित ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आध्यात्मिक जागरूकता का महोत्सव बनने जा रहा है। 23 देशों के प्रतिष्ठित प्रतिनिधि, विभिन्न संप्रदायों के संत-महंत, मंदिरों के ट्रस्टी और 25,000 से अधिक साधक और भक्तों की उपस्थिति एवं यज्ञ-याग के आयोजन के कारण यह महोत्सव काशी, उज्जैन और अयोध्या की तर्ज पर आध्यात्मिक पर्यटन का नया अध्याय बनेगा, जिससे विकास को भी गति मिलेगी, ऐसी जानकारी सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री चेतन राजहंस ने पणजी में आयोजित पत्रकार परिषद में दी।

यह पत्रकार परिषद ‘होटल मनोशांति’ पणजी में आयोजित की गई थी, जिसमें आर्ट ऑफ लिविंग के श्री संतोष घोडगे, सांस्कृतिक न्यास के श्री जयंत मिरिंगकर, अंतरराष्ट्रीय बजरंग दल के श्री नितीन फळदेसाई, कुंडई तपोभूमि स्थित पद्मनाभ संप्रदाय के श्री सुजन नाईक, ब्राह्मण महासंघ के श्री राज शर्मा, जगद्गुरु स्वामी नरेंद्राचार्य महाराज के अनुयायी श्री अनिल नाईक, गोमंतक मंदिर महासंघ के श्री जयेश थळी तथा हिंदू जनजागृति समिति के श्री युवराज गावकर उपस्थित थे।

‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ में 1,000 वर्ष पुराने चोरी से सुरक्षित किए गए सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का दुर्लभ दर्शन सभी को प्राप्त होगा। यह शिवलिंग मूर्ति भंजक ग़ज़नी द्वारा खंडित किया गया था और बाद में अग्निहोत्र संप्रदाय के साधकों ने इसे सुरक्षित रखा। अब आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी के आशीर्वाद से यह शिवलिंग 17 से 19 मई के दौरान महोत्सव स्थल पर जनता के दर्शनार्थ रखा जाएगा। साथ ही, छत्रपति शिवाजी महाराज के काल के शस्त्रों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।

आध्यात्मिक पर्यटन से आर्थिक विकास: काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और अयोध्या के श्रीराम मंदिर के कारण उत्तर प्रदेश को प्रति वर्ष लगभग 22,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हो रहा है। कभी पर्यटन क्षेत्र में सातवें स्थान पर रहा उत्तर प्रदेश अब शीर्ष पर पहुंच गया है। यह स्पष्ट दर्शाता है कि केवल आध्यात्मिक पर्यटन से भी राज्य की अर्थव्यवस्था को बड़ा प्रोत्साहन मिल सकता है। कभी ‘दक्षिण काशी’ के रूप में पहचाने जाने वाले गोवा को भी इससे निश्चित रूप से लाभ मिल सकता है। जो लोग मंदिरों या धार्मिक गतिविधियों को अंधविश्वास समझते हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि मंदिर देश की अर्थव्यवस्था की आत्मा और रीढ हैं। जब वैश्विक औद्योगिक शहर ढह रहे हैं, तब उज्जैन, तिरुपति, रामेश्वरम, काशी जैसे तीर्थस्थान हजारों वर्षों से टिके हैं और उनके आसपास का क्षेत्र भी विकसित हुआ है।

शंखनाद महोत्सव से पर्यटन में वृद्धि: इस तीन दिवसीय महोत्सव के लिए देश-विदेश से 25,000 से अधिक भक्त, साधक और प्रतिष्ठित व्यिक्त गोवा पहुंचेंगे। ये सभी 3 से 5 दिन तक ठहरेंगे, यात्रा करेंगे, स्थानीय वाहनों, होटलों, मंदिरों, बाजारों, रेस्टोरेंट्स और पर्यटन स्थलों का लाभ लेंगे। इससे स्थानीय व्यवसायों और रोजगार को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। इस पूरी प्रक्रिया से जो GST और सेवा कर उत्पन्न होगा, उससे राज्य सरकार को भी अच्छा राजस्व प्राप्त होगा।

यह महोत्सव उज्ज्वल आध्यात्मिक भविष्य का शंखनाद है: अन्य व्यवसायों की तुलना में आध्यात्मिक पर्यटन एक सुरक्षित और स्थायी विकास मॉडल है, जो समाज में नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना भी करता है। इस महोत्सव के माध्यम से मंदिर परंपरा, लोक कला, सांस्कृतिक पहचान, साथ ही साधना, आध्यात्मिक विचारधारा और राष्ट्रनिष्ठ मूल्यों का जागरण किया जाएगा। संक्षेप में, ‘शंखनाद महोत्सव’ उज्ज्वल आध्यात्मिक भविष्य का शंखनाद है।

इस महोत्सव से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए SanatanRashtraShankhnad.in वेबसाइट पर अवश्य जाएं।

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