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प्रिय! यह दीवाली की रात!

प्रिय! यह दीवाली की रात!

सच्चिदानन्द प्रेमी
पता नहीं मधुदीप बुझे कब हो जाए फिर प्रात!
आओ मिल जुल दोनों कर लें मधुर प्रणय की बात !
तमस ह्रदय पर पहरा देती दीपों की यह माला ,
झिलमिल स्नेहिल ज्योतित जग में मावस हुआ उजाला ,
हम भी मन का कलुष जलाकर करें प्रेम की बात !
सुंदर कितनी हैं यह रात!
घर घर दीप जले ज्यों तारे सजे ब्योम के थाल ,
कर में नव त्योहारी चूड़ी सर पर आँचल डाल ,
सुधर चितेरा नए पटल पर सजे रूप अवदान!
अच्छी कितनी है यह रात!
सुगना चढ़कर तेरी छत पर साध उठेगा गीत ,
आज हमारी हार कहेगा और तुम्हारी जीत,
रोएंगे फिर दोनों मिलकर बिंहसेगे जलजात!
खोटी कितनी है यह रात!
इसी तरह फिर कट जाएगा हँस रोकार वय शेष,
स्नेह हीन दीपक बुझ बुझ कर देंगे अविरल क्लेश ,
मन का शांत चीर हर लेगा स्मृति का झंझावात !
छोटी कितनी है यह रात!


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