Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

कंस के कारागार

कंस के कारागार

---: भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
कंस के कारागार में जब लिए कृष्ण अवतार।
देव मनुज गंधर्व सर्ब मिल करने लगे जयकार।।
भाद्रपद मास कृष्ण अष्टमी मध्य रात्रि की बेला।
रोहिणी नक्षत्र बुधवार था हर्षण योग अलबेला।।
बंधन टूटा खुला द्वार सब और हुई आकाशवाणी।
नंद महल में इसे पहुंचाओ हे वसुदेव परम ज्ञानी।।
सब ओर विसम प्रकृति थी फिर कुछ नहीं सोचा।
करने वाला कृपा करेगा हो कैसा भी कोई लोचा।।
अपने शिशु को शीर चढ़ाए सोच रहे वसुदेव।
भर मुंह मुंह देख न पाया है कैसा यह दुर्देव।।
उपर से यह रात अंधेरी उस पर से मूसलाधार।
उफन रही विकराली यमुना कैसे करूं मैं पार।।
फण काढ़े पीछे पीछे चल रहे रक्षक बन शेष।
सारी प्रकृति स्तब्ध खड़ी थी नारद,ब्राह्म,महेश।।
रामजन्म में केवट के संग चरण पखारी गंगा।
इस जनम में यमुना होगी वैसी विमल तरंगा।।
यही सोच बढ़ रही निरंतर थी यमुना की धार।
पांव बढ़ाकर किया शिशु ने यमुना का उद्धार।।
दरश परस पाकर यमुना हो गई थी अति मंद।
वसुदेव जी पार उतरकर पहुंचे घर बाबा नंद।।
दिशा शून्य थी शांत प्रकृति निद्रा घोर चढ़ी थी।
जड चेतन सब एक हुए थे केवल सांस कढ़ी थी।।
सुला शिशु को अंक यशोदा उठा योगमाया को।
आए कारागार फिर वे दिए देवकी को जाया को।।
योगमाया जो गई गोद में करने लगी क्रंदन घनघोर।
दौड़ा द्वारापाल पल भर में करता विस्मय से शोर।।
महाराज जन्म ले लिया है देवकी की आठवीं संतान।
विलक्षण रूदन सुनकर दौड़ा मैं सच में हे भगवान।।
--------------------------------------------------------------------वलिदाद अरवल (बिहार)८०४४०२.
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ