Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

उठो पार्थ गांडीव उठाओ

उठो पार्थ गांडीव उठाओ

समर प्रांगण बहुत बड़ा है
अपनों से मानव घिरा हुआ है
उठो
अपना कर्तव्य निभाओ
पार्थ
शीघ्र गांडीव उठाओ।
गांडीव की टंकार से
सारी दुविधा मिट जायेगी
कौन है अपना कौन पराया
दृष्टि सबको लख जायेगी।
मन पर भारी अपराध बोध जो
अगले ही क्षण मिट जायेगा
अधर्मी जब धनुष उठाये
रणक्षेत्र में दिख जायेगा।
पितामह भी खड़े सामने
गुरू द्रोण भी लगे ताकने
कब थोड़ी सी चूक करो तुम
बाणों को वो लगे साधने।
पार्थ उठो
छोड़ निराशा रथ को देखो
केसरी जिसकी ध्वजा विराजे
सारथी बन केशव हैं आगे
धर्म खड़ा हो दायें बायें
फिर उसको कैसी बाधाऐं?

अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ