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नेकी है करना

नेकी है करना

अँजनी कुमार पाठक
जबतक जीवन नेकी है करना
जीवन मेँ सुख दुख है रहना
सुन्दर महकीले फूल खिलें हैं
कठिन त्याग से गुलजार हुये हैं
बागवान ने क्या क्या है झेला ?
दुर्दिन मेँ नर सँयम रखना
जबतक जीवन नेकी है करना
रोज सबेरे सूरज उगता
जीवन राग बताकर ढलता
हर रागों का समयचक्र है
रागों मेँ अनुराग है भरना
जबतक जीवन नेकी है करना
क्या जाने कल क्या हो जाये ?
मानुष तन कछु काम ना आये
सूरज चाँद सितारेँ हैँ सबके
भेदभाव से दूर है रहना
जबतक जीवन नेकी है करना।
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