दो दिवसीय बर्ड वॉचिंग कार्यशाला का आयोजन

दो दिवसीय बर्ड वॉचिंग कार्यशाला का आयोजन

  • बर्ड वॉचिंग के दौरान कई दुर्लभ पक्षियों सहित 50 से अधिक पक्षियों की हुई पहचान
  • एनआईटी पटना तथा पटना विश्वविद्यालय के छात्रों ने भाग लिया

एनआईटी पटना, एनवायरनमेंट वारियर्स और हमारी गौरैया,पटना, बिहार के द्वारा दो (4-5मई) दिवसीय बर्ड वॉचिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया है, जिसमें एनआईटी पटना तथा पटना विश्वविद्यालय के छात्रों ने भाग लिया।
रविवार को छात्रों द्वारा एनआईटी कैंपस से लेकर दरभंगा हाउस तक पक्षियों का अवलोकन किया जिसमें उन्हें 50 से अधिक प्रजाति की 400 से अधिक पक्षी देखा। एनआईटी परिसर में पेड़ों पर दर्जनों बड़ी चिड़ियों के घोंसले मिले, कई पर चिड़ियों को बैठा देखा गया। इनमें आईयूसीएन की दुर्लभ सूची में शामिल चंद्रवाक यानि काली-मुकुटधारी रात्रि बगुला (क्राउन्ड नाइट हेरोन) भी शामिल है। अन्य पक्षियों में मवेशी बगुला, छोटा बगुला, शिकरा, काली चील, बुलबुल, तोता, बैंक मैना, बड़ा बसंता, हॉर्नीबिल,गौरैया, रुफस पा ट्री, बी ईटर आदि दिखी।
एनआईटी के डॉ अनुराग सहाय ने ब्लैक क्राउन नाईट हेरॉन तथा कैटल इग्रेट की घोंसलों का अवलोकन छात्रों को करवाया। मौक़े पर डॉ सहाय ने बताया कि परिसर में बड़ी संख्या में चिड़ियों ने घोंसले बनाये हैं और अंडे भी दिये हैं कई के बच्चे भी निकले। उन्होंने कहा कि गरमी की वजह से कई ज़मीन पर गिरी जिन्हें रेस्क्यू कर ठीक किया गया
बर्ड वॉचिंग कार्यशाला में गौरैया संरक्षण में सक्रिय पीआईबी पटना के उपनिदेशक संजय कुमार ने बताया कि गंगा नदी का किनारा चिड़ियों के लिए आहार पाने का केंद्र है। साथ ही प्रदूषण आदि से सुरक्षित हैं। पटना में गंगा नदी के किनारे बड़ी संख्या में पक्षियों का मिलना सुखद है। उन्होंने बर्ड फोटोग्राफी के तकनीक, पक्षी अवलोकन की तैयारियों, तथा पक्षियों को पहचानने संबंधित जानकारी बच्चों को दी।
बर्ड वॉचिंग कार्यशाला में गौरैया संरक्षण में सक्रिय पीआईबी के उपनिदेशक संजय कुमार,एनआईटी पटना के प्रो. डॉ अनुराग सहाय, एनवायरनमेंट वारियर्स के अध्यक्ष निशांत रंजन, विक्रम पाटिल, तनुश्री कुमारी, दिग्विजय सिंह, आकाश राज, नवनीत निगम, मासूम रंजन, ऋषिकांत आर्या, देव कुमार, प्रतीक वायासे आदि लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
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