पास होकर दूर है

पास होकर दूर है

एक पते की बात में
आज बताता हूँ मैं।
सुख-दुख में जो साथ दे
वो ही सब अपने है।
बाकी के बारे में
क्या हम कह सकते है।
चाहे हो वो परिजन
या हो अन्य आदिगण।।


समय समय पर देखो
आते जाते रहते।
खुशीयों के मौको पर
खूब साथ ये देते।
पर दुख आते ही
मुँह ये मोड़ें लेते।
अपने पराये होने का
एहसास करा ये देते।।


छोटी-छोटी बातों से
तुम क्यों डरते हो।
प्यार मोहब्बत का तुम
क्या मतलब समझते हो ।
दिलकी बातों को तुम
क्या दिलसे समझते हो।
फिर भी अपनों से तुम
क्यों दूर रहते हो।।


जय जिनेंद्र

संजय जैन "बीना" मुंबई
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