"जीवन का सार: संतोष और कृतज्ञता"

"जीवन का सार: संतोष और कृतज्ञता"

"जीवन ज़्यादा खुशहाल और तनावमुक्त हो सकता है, अगर हम एक सरल विचार को याद रखें.. 'हमारी हर इच्छा पूरी नहीं हो सकती, लेकिन भगवान हमें वही देता है जिसकी हमारी पात्रता है...'", उपरोक्त पंक्तियों में हमें जीवन के एक महत्वपूर्ण पहलू का बोध कराया गया है।


हम अक्सर अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं के पीछे भागते रहते हैं, बिना यह सोचे कि क्या वे वास्तव में हमारे लिए आवश्यक हैं या नहीं। हम भौतिक सुख-सुविधाओं और सामाजिक मान्यता की चाह में तनावग्रस्त रहते हैं, और अक्सर जीवन के वास्तविक आनंदों को अनदेखा कर देते हैं।


यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हमारी हर इच्छा पूरी नहीं हो सकती। जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, और हर समय खुशी और सफलता की उम्मीद करना अव्यावहारिक है।


इसके बजाय, हमें उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो हमारे पास हैं, और उनका आभार व्यक्त करना चाहिए। हमें उन लोगों को महत्व देना चाहिए जो हमारे जीवन में हैं, और उन क्षणों का आनंद लेना चाहिए जो हमें खुशी देते हैं।


जब हम अपनी इच्छाओं को सीमित करते हैं और जीवन के सरल सुखों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हम तनाव और चिंता से मुक्त हो जाते हैं। हम अधिक कृतज्ञ और संतुष्ट महसूस करते हैं, और जीवन में अधिक खुशी और शांति का अनुभव करते हैं।


जीवन सरल है, यदि हम इसे सरल रखें। जब हम अपनी इच्छाओं को सीमित करते हैं, जीवन के सरल सुखों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, और भगवान पर भरोसा करते हैं, तो हम जीवन में अधिक खुशी और तनावमुक्ति का अनुभव कर सकते हैं।


. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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