पिंड से ब्रह्मांड तक,मां कूष्मांडा का सहारा

पिंड से ब्रह्मांड तक,मां कूष्मांडा का सहारा

चतुर्थ नवरात्र अहम आभा,
सर्वत्र भक्ति शक्ति वंदना ।
असीम उपासना स्तुति आह्लाद,
दर्शन आदर सत्कार अंगना ।
अनंत नमन मां मंद मुस्कान,
त्रिलोक आलोक मंगल धारा ।
पिंड से ब्रह्मांड तक, मां कूष्मांडा का सहारा ।।

अनूप छवि अष्ट भुजाधारी,
रज रज ओज प्रसरण।
भक्तजन अलौकिक स्पर्शन,
तन मन कांति संचरण ।
सौर मंडल अधिष्ठात्री मां,
पटाक्षेप सघन तिमिर सारा ।
पिंड से ब्रह्मांड तक, मां कूष्मांडा का सहारा ।।

वनराजारूढ़ अक्षय फलदायिनी,
मां रूप भव्य श्रृंगार निराला ।
कर कमंडल धनुष बाण कमल चक्र गदा,
अमृत कलश सिद्धि निधि जपमाला ।
सुख सौभाग्य कृपालु मैया,
सर्व दुःख कष्ट संकट पार उतारा ।
पिंड से ब्रह्मांड तक,मां कूष्मांडा का सहारा ।।

सृष्टि रचना महाकाज,
त्रिदेव अप्रतिम सहयोग ।
हरित वर्ण अति प्रिया मां ,
चाहना कुम्हड़ बलि योग ।
दैहिक दैविक भौतिक ताप मुक्ति,
बोलो मां आदि शक्ति जय जयकारा ।
पिंड से ब्रह्मांड तक, मां कूष्मांडा का सहारा ।।

महेंद्र कुमार (स्वरचित मौलिक रचना)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ