वो अच्छे लगने लगे

वो अच्छे लगने लगे

अब वो कुछ- कुछ खुलने लगे हैं,
हँसकर वो सब से मिलने लगे हैं|
ना जाने कैसा था बदलाव उनका,
पर जो भी हो अच्छे लगने लगे हैं|
सादगी उन्हें बहुत ही थी भाती,
काजल मेरे उन्हें कुछ जँचने लगे हैं|
बालों को तुम ना यूँ करो कैद,
बिखरे गेसुओं में अब उलझने लगे हैं|
बहुत बोलती हैं ये आँखें तुम्हारी,
नैनों को मेरे अब पढ़ने लगे हैं|
जहाँ भी रहूँ वो रहते हैं इर्द गिर्द ही,
बयाँ जज्बातों को अब करने लगे हैं|
उन्होंने जो कहा के, जान लोगी क्या?
तभी से हम तो कुछ सँवरने लगे हैं|
वो जाते थे कहीं तो मुड़ते नहीं थे,
ओझल ना हो जाऊं तब तक तकने लगे हैं|
उनकी इस अदा पर कैसे ना हो निसार
टूट कर हमें वह मोहब्बत करने लगे हैं|
इस सविता के तुम ही तो हो आसमान,
आगोश में तेरे ही हम तो निखरने लगे हैं|
धीरे धीरे वो हमें तो जँचने लगे हैं,
तेरे ही वक्ष वलय में अब हम सिमटने लगे हैं|
सविता सिंह मीरा 
जमशेदपुर
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ