हाँ मैं ब्राह्मण हूँ

हाँ मैं ब्राह्मण हूँ

मनोज कुमार मिश्र"पद्मनाभ"
हाँ मैं ब्राह्मण हूँ
इसमें दोष क्या है?
मैंने नियंता को कब कहा
मेरा जन्म ब्राह्मण कुल मे ही हो?
यह शायद मैरे पूर्व जन्मो का पुण्य था
जो मुझे पारितोषिक मिला।
या पाप था जिसकी सजा मिली
कि आज मुझे पथभ्रष्टक नारीनिन्दक
देशद्रोही ब्राह्मणवाद का पोषक
समाजद्रोही की संज्ञा से नवाजा जा रहा।
हाँ मैं ब्राह्मण हूँ।
क्योंकि
क्षत्रियकुलभूषण दसरथनंदन राम को
भगवान राम बनाकर उन्हें जगपूज्य बनाया
यदुकुलनंदन कृष्ण को जगपालक मान
चरणो मे सर्वश्व समर्पित किया।
हाँ मैं. ब्राह्मण हूँ।
क्योंकि जनकनंदिनी सीता को
जगन्माता मान सदैव नतमस्तक रहा
रुक्मिणी राधा को भी जगपालिका माना
निशिवासर ध्यान लगाया कल्याण की याचना की।
स्त्रियः समस्ता सकला जगत्सु का शंखनाद किया।
दुर्गा काली लक्ष्मी हर रूप मे अभिनंदन किया।
हाँ मैं ब्राह्मण हूँ ।
इसीलिए तो क्षत्रियकुलभूषण के हांथों
अपनै ही वंशोत्पन्न विद्याविनयसंपन्न
सर्वशास्त्रनिपुण महापंडित लंकाधिपति
त्रैलोक्यविजेता महर्षि पुलस्त्य के दौहित्र
रावण का वध करवाया ।
चाणक्य बनकर दासिपुत्र चंद्रगुप्त को
मगध सम्राट बनाया।
पति पुत्र के साथ अपनी जान गंवाकर
रानी लक्ष्मीबाई नाम धराया।
जब जब भी राष्ट्र को विपदा ने घेरी
अपना स्वत्व भूल रक्षक बन आगे आया।
हाँ मैं ब्राह्मण हूँ।
आशीर्वाद दिया
अपमान लिया
नारी को सम्मान दिया
नारीनिंदक बन विषपान किया।
पथसर्जक बन
पथभ्रष्टक कहलाया।
क्योंकि मैं ब्राह्मण हूँ।
मनोज
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