जन्ने देखS दुनिया में अब पूछ न हे इंसान के l
धूम मचल हे धूर्त धुरंधर धुरफंदी बेईमान के llपरिपोषक परिवारवाद के दुश्मन राष्ट्र-समाज के l
जुटल जमायत छली प्रपंची कपटी धोखेबाज के ll
खुलेआम जे खूब करइत हे सौदा धर्म-ईमान के l
धूम मचल हे धूर्त धुरंधर धुरफंदी बेईमान के ll
दूधारी तलवारी नीति दगा देइत हे मित्र के l
जे रखवारा से आवारा दोगला चाल चरित्र के ll
समझे न अब कूटनीति कौटिल्य कुटिल मुस्कान के l
धूम मचल हे धूर्त धुरंधर धुरफंदी बेईमान के ll
हाय रुपइया ! हाय रुपइया ! सात पुस्त तक हड़पइत हे l
तीन-तेहाइत तेरह-तिकड़म तेल-बेल कर तड़पइत हे l
नया जमाना छीन लेलक चितचैन ई सकल जहान के l
धूम मचल हे धूर्त धुरंधर धुरफंदी बेईमान के ll
चितरंजन 'चैनपुरा'
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