"जो प्राप्त है, वह पर्याप्त है"

"जो प्राप्त है, वह पर्याप्त है"

आज के भागदौड़ भरी जिंदगी में, हम अक्सर भौतिक सुखों और उपलब्धियों की दौड़ में व्यस्त रहते हैं। हम लगातार कुछ न कुछ पाने की कोशिश में रहते हैं, और जो हमारे पास है, उसकी कभी भी सराहना नहीं करते। यह हमें दुखी और असंतुष्ट बनाता है।

"जो प्राप्त है, वह पर्याप्त है" - यह एक सरल, किंतु गूढ़ एवं अकाट्य सत्य है जो हमें जीवन में खुशी और संतोष प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है। इसका अर्थ है कि हमें अपने जीवन में जो भी मिला है, उसके लिए आभारी रहना चाहिए, और उसकी कदर करनी चाहिए। हमें यह समझना चाहिए कि जो हमारे पास है, वह ही हमारे लिए सबसे अच्छा है।

जब हम अपने जीवन में "प्राप्त" चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हम कृतज्ञता और खुशी की भावना से भर जाते हैं। हम छोटी-छोटी चीजों में भी आनंद ढूंढने लगते हैं, जैसे कि परिवार के साथ समय बिताना, प्रकृति का आनंद लेना, या किसी जरूरतमंद की मदद करना।

इसके अलावा, "जो कार्य आपको प्रसन्नता प्रदान करे उसे करते रहें" - यह सलाह हमें उन कार्यों को करने के लिए प्रेरित करती है जो हमें पसंद हैं। जब हम अपने काम में खुशी पाते हैं, तो हम अधिक ऊर्जावान और उत्साही बन जाते हैं। हमारा काम हमें बोझ नहीं लगता, और हम इसे आनंद के साथ करते हैं।

अंत में, "हे प्रभु हम आपके आभारी हैं" कहने से दिन की शुरुआत करना हमें सकारात्मकता और कृतज्ञता की भावना से भर देता है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारे जीवन में जो कुछ भी है, वह हमें ईश्वर की कृपा से प्राप्त हुआ है।

इसलिए, आइए हम "जो प्राप्त है, वह पर्याप्त है" इस सत्य को अपनाकर अपने जीवन में खुशी और संतोष प्राप्त करें।

. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा
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