होलिका दहन का मुहूर्त !!

होलिका दहन का मुहूर्त !!

हिंदू त्योहारों मे एक त्यौहार होली का त्योहार माना जाता है। जिसे देश-विदेशों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। होली मनाने से पूर्व होलिका दहन की परंपरा है। होलिका दहन भद्रा में नहीं किया जाता। ढुंण्ढा राक्षसी की पूजा करने के बाद होलिका दहन किया जाता है। इस वर्ष 24 मार्च 2024 को होलिका दहन किया जाएगा।
24 मार्च 2024 की रात 10:28 तक भद्रा तिथि रहेगी। अतः रात्रि 10:29 से रात्रि 12:32 के बीच होलिका दहन करना शुभ माना जाएगा। इसी मुहूर्त में होलिका दहन के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के मंत्रों की साधना और सिद्धि भी की जाती है।
होलिका दहन के इसी मुहूर्त में कुछ वस्तुएं अवश्य डालनी चाहिए। जिससे हमारे जीवन से रोग, व्याधि, कष्ट, परेशानियां, शारीरिक, आर्थिक, मानसिक कष्ट, किसी भी तरह की तांत्रिक, मांत्रिक प्रयोग, नजर, टोने टोटके सब समाप्त हो जाएं।
सबसे पहले पीली सरसों का लेप बनाकर उसे अपने पूरे शरीर पर मालिश करके उसे उतार लेना चाहिए और इकट्ठा करके किसी कागज में अच्छे से बांधकर रख लें। फिर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद पांच लौंग, पांच इलायची, पीली सरसों, पांच कपूर के टुकड़े, काला तिल, सफेद तिल, बिना पानी का जटा वाला नारियल, नवग्रह समिधा, गोबर के कंडे, नए अनाज की बालियां इन सब को एक साथ अपने सिर के ऊपर से घड़ी की सुई की विपरीत दिशा में एंटी क्लॉक वाइज सात बार उतार लें। फिर उसे भी एक जगह इकट्ठा कर कर रख लें। फिर सप्तधान अर्थात् सात अनाज अपने सिर के ऊपर से उतारा करके रखें। इसके अलावा कोई भी मीठी चीज गुड़, बताशे अथवा कोई भी मिठाई यह सब एक जगह इकट्ठा करके इन सब को एक साथ ले जाकर होलिका दहन की इसी शुभ मुहूर्त में होलिका की जलती आग में ओम् होलिकाय नमः मंत्र बोलते हुए डाल दें।
एक गन्ना जो पत्ते सहित हो उसे होलिका दहन की अग्नि में डालकर पत्ते को अच्छी तरह से जला दें और बचे हुए हिस्से को अर्थात् गन्ना को अपने घर लेकर आए और उसे अपने घर के दक्षिण पश्चिम के कोने में पूरे वर्ष खड़ा करके रख दें। इससे घर में धन संपत्ति की वृद्धि होती है। पुराने वर्ष के रखे हुए गन्ना को जल में प्रवाहित कर दें। होलिका दहन करने के पश्चात् होलिका दहन की अग्नि की पांच या सात प्रदक्षिणा अवश्य करनी चाहिए। होलिका दहन की जली हुई राख अपने घर पर लेकर आएं और अगले दिन होली खेलने से पूर्व अथवा स्नान करने से पूर्व पहले होलिका दहन की राख को अपने शरीर पर लगा लें। उसके बाद आप चाहें तो होली खेलें अथवा ना खेलें किंतु होलिका दहन की राख लगाने के बाद ही स्नान करें।महादेव सबका कल्याण करें।
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