जरुरी समझा .....

जरुरी समझा .....

मेरे होने पर भी तूने खुद को तन्हा समझा,
मैं बावफा था, तूमने मुझे बेवफा समझा।

हमने तो हर जख्म पर मरहम लगानी चाही,
ज़रा सा कुरेदा था, तूने हमें जालिम समझा।

इश्क में अक्सर ऐसे मंजर आते हैं,
तेरी बेरुखी को हमने अदा समझा।

मुस्कराना और रूठना, तेरी फितरत में था,
बार-बार मनाना, मोहब्बत में अच्छा समझा।

मैं दीवाना था तेरी चाहत में जानम,
यह जताने को, जां लुटाना जरुरी समझा।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
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