हिन्दू-हिन्दू कहते मुँह जब थक जाता है

हिन्दू-हिन्दू कहते मुँह जब थक जाता है

- डॉ. मेधाव्रत शर्मा, डी•लिट•

(पूर्व यू.प्रोफेसर)
हिन्दू-हिन्दू कहते मुँह जब थक जाता है,
करने लगते धर्म सनातन की गुहार तब।
अर्थ भले कुछ भी न समझ पड़ता हो तो भी,
उन्मादी तत्त्वों को मतलब से है मतलब ।
कान खोल कर सुनो, धर्म के ठेकेदारो!
घृणा-गरल से दिग्ध धर्म तानाशाही है।
जो समाज को तोड़े निश्चय वह विधर्म है,
हिन्दू-धर्म सनातन सर्वसमावेशी है ।
ध्रुव केवल मानवता के अवदात मूल्य हैं,
'आचारो धर्म:' युगानुरूप परिवर्त्तमान ।
मूल एक है, भेद-भाव सब शाखागत हैं, प्रेम और करुणा ही धर्म के पोषक प्राण।
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