मंजिल तेरी दूर है

मंजिल तेरी दूर है

मंजिल तेरी दूर है , जीवन क्षणभंगुर है ।
फिर भी तुझे चलना है , लक्ष्य हासिल करना है ।
कांटों भरी है डगर , फिर भी परवाह न कर ।
हार कर बैठ जाएगा , तो मंजिल कैसे पाएगा ।
हौसला बुलंद तूं कर , लोगों की बातों से न डर ।
लोग तुझे हर दिन , अटपटी बातें सुनायेंगे ।
कठिन है यह काम , बोल तेरा मनोबल गिरायेंगे ।
पर उनकी बातों का , कभी भी परवाह न कर ।
लक्ष्य भेद सकता है तुम , बढ़ता जा यह सोच कर ।
हौसला है तो सफलता तेरी कदम चूमेगी ।
एक दिन यह सारी दुनिया, तेरे आगे पीछे घूमेगी ।
सच्चाई का राह हमेशा ही कठिन होता है ।
फिर भी सत्पुरुष उसी रास्ते पर चलता है । 
जय प्रकाश कुंअर
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