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"जिस्म की दरारों "

"जिस्म की दरारों "

मेरे जिस्म की इन बेइंतेहा दरारों से,
घायल मेरी ये रूह नजर आने लगी।


मेरी आँखों में तेरे प्यार का नूर है,
मेरे दिल में तेरे प्यार का सुरूर है।


दिल की ये धड़कनें हैं तेरे नाम पर,
मेरे अरमान तेरे इश्क़ में समा गए।


आँखों से आँसू बहते हैं जैसे नदियाँ,
दिल में जलन है जैसे आग लगी हो।


यह इश्क़ तेरा है एक ऐसा जादूगर,
जो हर किसी को कर देता दीवाना।


तेरे बिना मेरा जीना मुश्किल है,
तेरे बिना मेरा मरना आसान है।


बहुत अंदर तक मुझे है तोड़ गया,
मुझे यह बेपरवाह सा इश्क़ तेरा।


आँखों में आँसू और होठों पर मुस्कान,
बाहर से तो मैं खुश अंदर से हूँ बेहाल।


नज़रें मेरी तेरे दीदार को तरस रही हैं,
हर पल तेरे ख्यालों में खोए जा रही हैं।

पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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