स्वच्छता के दूसरे गाँधी थे डाॅ॰ विन्देश्वर पाठक: अश्विनी चौबे
- मैनुअल स्कैवेजिंग से लाखों लोगों को निकालकर उनके जीवन में बदलाव लाये :-डाॅ॰ विन्देश्वर पाठक: अश्विनी चौबे
सुलभ स्वच्छता, सामाजिक सुधार एवं मानवाधिकार आंदोलन के संस्थापक पद्मभूषण स्व॰ डाॅ॰ विन्देश्वर पाठक की श्रद्धांजलि सभा राजधानी के ज्ञान भवन में सम्पन्न हुई। कार्यक्रम की शुरूआत डाॅ॰ विन्देश्वर पाठक के तैलचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गयी। इसके उपरान्त श्रद्धांजलि सभा में डाॅ॰ विन्देश्वर पाठक के जीवन-दर्शन से जुड़ी डाॅक्यूटमेंटरी फिल्म प्रदर्शित की गयी। साथ ही स्व॰ डाॅ॰ पाठक द्वारा रचित सुलभ प्रार्थना एवं सुलभ वंदना प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात् सुप्रसिद्ध एवं प्रख्यात संगीतज्ञ पं॰ अभिषेक कुमार मिश्रा द्वारा भक्तिमय संगीत का गायन किया गया।
श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता सुलभ इन्टरनेशनल सोशल सर्विस आॅर्गनाइजेशन के प्रेसीडेन्ट कुमार दिलीप ने की। श्रद्धांजलि सभा को मुख्य रूप से सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री अश्विनी कुमार चैबे जी ने कहा कि स्व॰ विन्देश्वर पाठक स्वच्छता के दूसरे गाँधी के रूप में जाने जायेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार के मिट्टी के लाल स्व॰ डाॅ॰ पाठक ने माथे पर मैला ढोने की कुप्रथा को समाप्त कर लाखों मैनुअल स्कैवेंजरों के जीवन में बदलाव और खुशहाली लाने का जो अतुलनीय व अद्वितीय कार्य किये हैं उसे सम्पूर्ण सृष्टि उन्हें सदैव याद रखेगा। श्री चैबे ने कहा कि समानता का अधिकार दिलाने एवं समतामूलक समाज के निर्माण में स्व॰ डाॅ॰ पाठक का अतुलनीय योगदान को विश्व सदैव याद रखेगा। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के तत्कालीन मंत्री रहते हुए मैंने स्वयं स्व॰ डाॅ॰ विन्देश्वर पाठक के स्वच्छता के नये-नये आयामों से प्रेरणा लेकर श्रमदान के माध्यम से लाखों शौचालयों का निर्माण कराया। श्री चैबे ने कहा कि ”घर-घर में होगा शौचालय का निर्माण, तभी होगा लाली बिटिया का कन्यादान“, मैंने इस नारे को स्व॰ डाॅ॰ विन्देश्वर पाठक की प्रेरणा से ही पूरा कर सका।
श्री चैबे ने कहा कि स्व॰ पाठक महात्मा गाँधी के सच्चे अनुयायी थे। स्वच्छता के क्षेत्र में विश्व में जो ख्याति स्व॰ डाॅ॰ पाठक ने प्राप्त की, वह अपने आप में समाज के लिए अनुकरणीय कदम है। उन्होंने कहा कि स्व॰ पाठक असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे, जबतक सृष्टि रहेगी, पूरी दुनिया उन्हें सदा याद रखेगी। उन्होंने कहा कि कुलीन ब्राह्मण परिवार में जन्म लेकर सर पर मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने का कार्य के लिए समाज उनका सदैव ऋणी रहेगा।
श्री चैबे ने कहा कि स्व॰ डाॅ॰ पाठक सामाजिक समरसता के पुरोधा थे तथा राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के बाद यदि किसी ने स्वच्छता एवं पीड़ितों की उत्थान की बात की, वह सिर्फ और सिर्फ डाॅ॰ विन्देश्वर पाठक ही थे। उन्होंने अपने जीवन में हुए बदलाव का सम्पूर्ण श्रेय डाॅ॰ पाठक को दिया। श्री चैबे ने बिहार सरकार से स्व॰ डाॅ॰ विन्देश्वर पाठक की आदमकद प्रतिमा राजधानी के मुख्य स्थल पर स्थापित करने की बात कही।
विशेष रूप से उपस्थित वरीष्ठ पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी श्री राम उपदेश सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमने और आपने तो केवल स्व॰ डाॅ॰ विन्देश्वर को खोया है, लेकिन देश और दुनिया ने एक हीरा खो दिया है। अपने सारगर्भित सम्बोधन में श्री सिंह ने कई कविताएँ एवं सांस्कृतिक रचनाओं का भी उल्लेख करते हुए अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित आदरणीय आगन्तुकों का स्व॰ डाॅ॰ विन्देश्वर पाठक के सुपुत्र कुमार दिलीप ने आभार व्यक्त किया। साथ ही, कुमार दिलीप ने घोषणा की कि स्व॰ डाॅ॰ पाठक की कृतियों को आगे बढ़ाने के लिए नई दिल्ली में ”डाॅ॰ विन्देश्वर पाठक संग्रहालय“ तथा ”डाॅ॰ विन्देश्वर पाठक रिसर्च एवं ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट“ के निर्माण की शुरूआत हो चुकी है, जो आगामी छः माह में बनकर तैयार हो जायेगा।
श्रद्धांजलि सभा में पूर्व राज्यपाल श्री गंगा प्रसाद, बिहार सरकार के राजस्व मंत्री श्री आलोक मेहता, बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ॰ अखिलेश प्रसाद सिंह, विधायक डाॅ॰ संजीव चैरसिया, पटना की महापौर श्रीमती सीता साहू, उपमहापौर श्रीमती रेशमी कुमारी, महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल, श्रीमती अमोला पाठक, श्रीमती नित्या पाठक, श्रीमती मधु बाला, श्रीमती किरण बाला, डाॅ॰ गोपाल प्रसाद सिन्हा, पद्मश्री विमल जालान, आरएसएस के क्षेत्रीय सम्पर्क प्रमुख अनिल ठाकुर, सुलभ इन्टरनेशनल के वरीय परामर्शी श्री बी॰ एन॰ झा, अपर नियंत्रक श्री जय प्रकाश झा, अधिवक्ता संजीव कुमार मिश्र, अजीत कुमार शुक्ला तथा कुमुद रंजन मुख्य रूप से शामिल थे।
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