शारदीय नवरात्रि में तीसरे दिन आराधना ज्ञान की देवी और भक्तों को कल्याण करने वाली मां चन्द्रघंटा की होती है

शारदीय नवरात्रि में तीसरे दिन आराधना ज्ञान की देवी और भक्तों को कल्याण करने वाली मां चन्द्रघंटा की होती है

दिव्य रश्मि संवाददाता जितेन्द्र कुमार सिन्हा की कलम से |

शारदीय नवरात्रि को देवी दुर्गा के नौ शक्तियों के मिलन का पर्व भी कहा जाता है। यह पर्व प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक चलने वाली नवरात्र नवशक्तियों से युक्त और प्रत्येक शक्ति का अपना अपना महत्व होता है। इस नौ दिन में मां दुर्गा का प्रत्येक रूप अद्भुत और अद्वितीय शक्ति से भरा रहता है। नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी दुर्गा के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी और चन्द्रघंटा के रूपों की पूजा होती है।

मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप चन्द्रघंटा है। शारदीय नवरात्रि के तीसरा दिन मां चन्द्रघंटा की आराधना होती है। मां चन्द्रघंटा अपने माथे पर अर्ध-गोलाकार चंद्रमा पहनती है। उनके माथे पर अर्धचंद्र घंटी (घंटी) की तरह दिखता है और इसी वजह से उन्हें चंद्र-घण्टा के नाम से जाना जाता है। मां चन्द्रघंटा शक्ति के रूप में है। मां चन्द्रघंटा तीन नेत्रों और दस हाथों वाली है। मां अपनी चार बाएं हाथों में त्रिशूल, गदा, तलवार और कमंडल रखती हैं और पांचवें बाएं हाथ को वरद मुद्रा में। वहीं अपने चार दाहिने हाथों में कमल का फूल, तीर, धनुष और जप माला धारण करती है और पांचवें दाहिने हाथ को अभय मुद्रा में रखती है। मां चन्द्रघंटा बाघ पर सवार, कंठ में सफेद पुष्प के माला, शीश पर रत्नजड़ित मुकुट, मस्तक पर घंटे की आधा चंद्रमा विराजमान है। मां चंद्रघंटा का पसंदीदा फूल चमेली है। आमतौर पर मान्यता है कि मां चन्द्रघंटा को दूध और खीर जैसे सफेद पकवान और शहद बहुत पसंद है।

मां चन्द्रघंटा को ज्ञान की देवी और भक्तों को कल्याण करने वाली मां कहा गया है। यह साधकों को चिरायु, आरोग्य, सुखी और संपन्नता देने वाली, हर समय दुष्टों का संहार करने वाली मां है। मान्यता है कि शुक्र ग्रह मां चन्द्रघंटा द्वारा शासित है। जो दुनिया का सभी सुख देती है और लोगों के जीवन को सहज बनाती है। मां चंद्रघंटा की कृपा जिस पर हो जाती है, उन लोगों का सभी धन और समृद्धि का रास्ता खुल जाता है और उनका जीवन शानदार हो जाता है। उनके घर में कभी खाने पीने की कमी नहीं होती है। मां चन्द्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति के दिल से सभी तरह के भय दूर होती है और मां की कृपा से आशा और विश्वास जगती है। कहा जाता है कि मां चन्द्रघंटा के माथे पर चंद्रमा की घंटी की आवाज बुरी आत्माओं और सभी बुरी ऊर्जाओं को दूर करती है। इसलिए मां चंद्रघंटा की पूजा से घर की शुद्धता और नकारात्मक ऊर्जा दूर रखने में मदद मिलती है। जो लोग जीवन में उम्मीद खो चुके होते हैं और अपने पेशे या व्यवसाय में एक नई दिशा की तलाश कर रहे होते हैं, उनके लिए मां चंद्रघंटा की पूजा करने से उनके रास्ते में एक नई रोशनी आती है और अत्यधिक फायदा होता है।

नवरात्रि में भोजन के रूप में केवल गंगा जल और दूध का सेवन करना अति उत्तम माना जाता है, कागजी नींबू का भी प्रयोग किया जा सकता है। फलाहार पर रहना भी उत्तम माना जाता है। यदि फलाहार पर रहने में कठिनाई हो तो एक शाम अरवा भोजन में अरवा चावल, सेंधा नमक, चने की दाल, और घी से बनी सब्जी का उपयोग किया जाता है। मां चन्द्रघंटा के इस मंत्र के साथ पूजा करना चाहिए :-

पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता ।।


महामंत्र


‘या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।’


बीज मंत्र
‘ऐं श्रीं शक्तयै नम:’
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ