जीवन-पथ के पाथेय
अगर सुख शांति से जीना है, मत दबो दिखावे के नीचे।हृदयंगम कर लो कर्तव्यों को पथ में बाधा जितनी खींचे।।
हे, शक्तिमान! तुम सबल- समर्थ हो, बढ़ो, शक्ति का उदय करो।
जिसमें है झिझक या आत्महीनता उनमें साहस, उत्साह भरो।।
तुम युगांतरकारी हो, क्रांति लाओ, अग्रणी रहो और यश पाओ।
दुर्बुद्धि त्याग सन्मार्ग चलो, क्रांतिपथ में औरों को लाओ।।
सफलता में पवित्रता है, नैतिकता, समृद्धि की धारा है।
एकता, समता जो समझ गया कभी नहीं वह हारा है।।
किसी पर अतिशय निर्भर न रहो, अंधत: विश्वास न कर बैठो।
गर समझ सके जो तुम विवेक से जीवन में न कभी रुठो।।
फिर देखो सुधा बरसती है, असंभव संभव बन जाता है।
मानवता भरपूर सरसती है, धरती पर स्वर्ग यों आता है।।
डॉ विवेकानंद मिश्र
डॉक्टर विवेकानंद पथ गोल बगीचा गया बिहार
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