अगस्त क्रांति के नायक शहीद जगतपति एवं खुदीराम बोस को दी गई श्रद्धांजली

अगस्त क्रांति के नायक शहीद जगतपति एवं खुदीराम बोस को  दी गई श्रद्धांजली 

दिव्य रश्मि संवाददाता अरविन्द अकेला की खबर 
औरंगाबाद, (दिव्य रश्मि)।जनेश्वर विकास केंद्र के तत्वावधान में स्वतंत्रता संग्राम के नायक शहीद जगतपति कुमार के सम्मान में स्थानीय अधिवक्ता संघ भवन के सभागार में एक संगोष्ठी सह श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। 
      इस गोष्ठी की अध्यक्षता साहित्य-सेवी डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र तथा  संचालन वरीय अधिवक्ता एवं समाजसेवी सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने किया। सर्वप्रथम समिति के सदस्य एवं आगंतुक अतिथियों ने स्थानीय जगतपति उद्यान में स्थापित शहीद जगतपति की प्रतिमा पर  माल्यार्पण कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी। माल्यार्पण के समय 'शहीद जगतपति अमर रहे',भारत माता की जय,और 'वंदे मातरम 'के नारों से वातावरण गुंजायमान हो गया।
      उपरोक्त नारों के पश्चात 'जगतपति की शहादत: स्वतंत्रता संग्राम के लिये संबल' विषयक संगोष्ठी का विषय प्रवेश समाजसेवी एवं पूर्व चाणक्य परिषद के अध्यक्ष रामानुज पांडेय ने कराया और सविस्तार स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठभूमि में तत्कालीन स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को रेखांकित किया। अगस्त क्रांति में अपनी 
आत्माहुति देने वाले जगतपति कुमार सहित सात शहीदों एवं अमर सेनानी खुदीराम बोस को  अमर योद्धा के रूप में निरूपित किया।
      गोष्टी को संबोधित करते हुए प्रो. डॉ. शिवपूजन सिंह ने कहा कि अंग्रेजों के दमनकारी नीतियों के विरुद्ध देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए जिन-जिन लोगों ने अपनी आहुति दी है ,वे सभी हमारे अत्यंत श्रद्धा के पात्र हैं।
      अपनी बातों को रखते हुए पर्यावरणविद डॉ रामाधार सिंह ने कहा कि औरंगाबाद के वीर सपूत ने अपना बलिदान देकर जानमानस में एक नया जोश और जज्बा पैदा कर दिया था ,  जिससे अंग्रेजों के पैर  उखड़ने शुरू हो गए थे ।
       ज्योतिर्विद शिवनारायण सिंह एवं शिक्षक अरुण कुमार सिंह ने स्वतंत्रता  संग्राम की अगस्त क्रांति के दरम्यान अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाले जगतपति एवं अन्य वीर शहीदों को मातृभूमि का सपूत बताया।साथ ही आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि नेपथ्य में ओझल किए गए शहीदों के इतिहास को जनचेतना में लाया जाये। कवि लवकुश प्रसाद सिंह ने जगतपति के  सम्मान में उनपर रचित एक कविता का पाठ किया। प्रोफेसर संजीव रंजन ने शहीदों के प्रति शासकीय उपेक्षा को निंदनीय बताया।
      इस अवसर पर जिन लोगों ने शहीद जगतपति कुमार एवं शाहिद खुदीराम बोस के प्रति अपनी श्रद्धा निवेदित कि उनमें संस्था के अध्यक्ष राम जी सिंह, पूर्व प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सुमन अग्रवाल,कमलेश कुमार सिंह,सत्यचंडी न्यास समिति के सचिव राजेंद्र प्रसाद सिंह,साहित्य संवाद अध्यक्ष लालदेव प्रसाद,समाज सेवी सुरेंद्र सिंह,पूर्व शिक्षक बैजनाथ सिंह, मुरलीधर पांडे,अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष संजय कुमार सिंह,अधिवक्ता विनोद मालाकार आदि प्रमुख थे।
      अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने कहा कि आजादी की लड़ाई में औरंगाबाद की भुमिका कमाल  की है । औरंगाबाद के खरांटी निवासी जगतपति  कुमार  ने मातृभूमि की आजादी के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया।
      सचिव सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने एक प्रस्ताव के जरिए सरकार से यह मांग की जगतपति कुमार की स्मृतियों को अमर बनाए रखने के लिए इनके इतिहास  को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए,प्रशासन के स्तर से हर वर्ष इनके नाम पर  कार्यक्रम किया जाये। शहीद के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किया जाए जिससे  आने वाली पीढ़ियां राष्ट्र प्रेम का संदेश ग्रहण कर सकें। साथ ही दाउदनगर सोन पुल का नाम जगतपति कुमार के नाम पर रखा जाये ।  संगोष्ठी में क्षत्रीय समाज के अध्यक्ष धनंजय सिंह,अनुज कुमार सिंह, कुश्ती संघ के सचिव उदय तिवारी,पत्रकार रामाकांत सिंह,कवि रामकिशोर सिंह, सत्यचंडी महोत्सव के उपाध्यक्ष अरुण कुमार सिंह,परता धाम के अध्यक्ष अशोक सिंह सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे।कार्यक्रम के संयोजक राजेंद्र प्रसाद सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही सभा की कार्यवाही संपन्न हुई।

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