पवनसुत सर्वांगीण विकास केंद्र के द्वारा प्रकाशित "दिव्य रश्मि" मासिक पत्रिका ने 28 मई को मनाया 9वाँ वर्षगांठ एवं सावरकर जी की 140 वीं जयंती का हुआ आयोजन |

पवनसुत सर्वांगीण विकास केंद्र के द्वारा प्रकाशित "दिव्य रश्मि" मासिक पत्रिका ने 28 मई को मनाया 9वाँ वर्षगांठ एवं सावरकर जी की 140 वीं जयंती का हुआ आयोजन |

आज २८ मई २०२३ को पटना के आई एम् ए हॉल में महान क्रन्तिकारी विनायक सावरकर जी की 140 वीं जयंती सह दिव्य रश्मि पत्रिका का ९ स्थापना दिवस का आयोजन किया गया |

अपनत्व भाव के साथ "दिव्य रश्मि" मासिक पत्रिका जून, 2023 को अपने 9वें वर्ष में प्रवेश किया। पत्रिका के संपादक डा० राकेश दत्त मिश्र (R D Mishra) ने बताया कि इस पत्रिका का शुभारंभ वर्ष 2014 के २८ मई से किया गया था। उस समय से निर्वाध रूप से इसका प्रकाशन प्रतिमाह हो रहा है। उन्होंने इसका नियमित प्रकाशन का श्रेय अपने पाठकों और पत्रिका से जुड़े सभी सदस्यों को देते हुए कहा कि आध्यात्मिक चेतना, सनातन धर्म एवं संस्कृति को जीवित रखने के साथ समाजसेवियों में मंगल भाव जागृत करने का प्रयास “दिव्य रश्मि” मासिक पत्रिका के माध्यम से किया जा रहा है। “दिव्य रश्मि” पत्रिका धर्म, शिक्षा और समाज की खबरों से परिपूर्ण राष्ट्रीय पत्रिका है, इस पत्रिका में धार्मिक आलेख, पौराणिक कथाओं, समसामयिक घटनाचक्र, सरकार की उपलब्धियों सहित कई अन्य स्तंभ है जो लोगों को आकर्षित करता है।

सम्पादक डॉ मिश्र ने बताया कि “दिव्य रश्मि” पत्रिका के संस्थापक पूज्यनीय स्वर्गीय सुरेश दत्त मिश्र जी थे। उनके बताये दिशा निर्देश से पत्रिका अपने 9वें वर्ष में प्रवेश किया है। पत्रिका को कुशलता पूर्वक चलाने के लिए इसमें में कई विंग कार्यरत है जिसमें परामर्शी, विधि परामर्शी, संपादक मंडल प्रमुख है। “दिव्य रश्मि” पत्रिका के प्रतिनिधि झारखंड, दिल्ली, बेंगलुरु, उत्तर प्रदेश सहित बिहार के लगभग सभी जिलों में फैले हुए है। आज "विनायक दामोदर सावरकर जी की 140वीं जंयती" है देश को आजादी दिलाने में वीर सावरकर जी जैसे क्रांतिकारियों का विशेष योगदान रहा है। जिन्होंने भारत और भारतीयता के लिए समर्पित होकर कार्य किया। उन्होंने गौरव बोध को जगाने का काम करते हुए 1857 की क्रांति को देश का पहला स्वाधीनता संग्राम घोषित किया। उनके आवाहन पर बड़ी संख्या में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांतिकारी आंदोलन में कूद कर देश को आजाद कराने में अपनी अग्रणी भूमिका निभाई।

संस्था के अध्यक्ष डॉ पुरुषोतम कुमार ने बतायाकि सामाजिक कार्यो के साथ साथ हम लोगों में राष्ट्र भक्ति जगाने का प्रयास करते है इसी कड़ी में हमारे संस्था के द्वारा प्रकाशित पत्रिका है | हमारी संस्था प्रत्येक माह जागरूकता अभियान एवं देश के महान सपूतों की जयंती एवं पुण्यतिथि मनाने का कार्य करती है |

कार्यक्रम अध्यक्ष कमलेश पुण्यार्क ने बतायाकि आज जिस प्रकार से धर्म का लोप हो रहा है उसमे दिव्य रश्मि धर्म बचाने का सहारा है |

मार्कण्डेय शारदेय ने बतायाकि देश में पत्रिकाय रोज आती जाति है परन्तु दिव्य रश्मि का जोड़ नहीं |

डॉ मदन दुबे ने कहाकि दिव्य रश्मि प्रत्येक घर की आवश्यकता है |

साहित्यकार बाबूलाल मधुकर ने बताया कि दिव्य रश्मि ९वम नहीं ९० स्थापना दिवस मनाये यही हमारी कामना है |

"दिव्य रश्मि" पत्रिका के उप संपादक सुबोध कुमार सिंह ने बताया कि “दिव्य रश्मि” पत्रिका में देश के हिन्दुओं के लिए और धार्मिक माताओं के लिए लेख तो प्रकाशित होता ही है, इसके अतिरिक्त पौराणिक यात्राओं, खोजी आलेख, सरकार की उपलब्धि, ज्योतिष आदि से सम्बंधित लेख और समाचारों से भी भरा पड़ा रहता है। "दिव्य रश्मि" पत्रिका का प्रत्येक अंक का कवर पेज भी रोचक रहता है। "दिव्य रश्मि" ने अपनी कवर पेज की यात्रा सूर्य मंदिर से शुरू किया था। उसके बाद अलग-अलग अंक में, "भारत के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर", "कृष्ण लीलाओं में छिपा संदेश", "नौ रूपों में माँ दुर्गा की महिमा", "भगवान स्वामी नारायण", "स्वामी विवेकानन्द आध्यात्मिक गुरु", "शिव पार्वती संवाद", "देश प्रथम होता है धर्म नही", "योग में छिपा है जीवन का रहस्य", "जगत जननी आदिशक्ति योनिरुपाय कामाख्या देवी", "महाराणा प्रताप विशेषांक", "भविष्य द्रष्टा सावरकर", "गुप्तेश्वर पाण्डेय बने बिहार के डीजीपी", "कार्तिक छठ पूजा", "राम कथा का.....वनवास में प्रभु कहाँ कहाँ", "हनुमान जी अमर कैसे", श्री भगवान परशुराम, जैसे मत्वपूर्ण शीर्षक से अंक का प्रकाशन किया है। "आदि शंकराचार्य", "चक्रवर्ती सम्राट शिवाजी" एवं "भगवान बुद्ध" जैसे लोगों पर विस्तार रूप से आलेख/विचार का भी प्रकाशन किया है, जिसमें गूढ़ बातों की जानकारी दी गई है।

उन्होंने बताया कि "दिव्य रश्मि" पत्रिका के सक्रीय रूप से संपादक डॉ राकेश दत्त मिश्र, उप संपादक सुबोध कुमार सिंह, अरविंद पाण्डेय, अखिलेश पाण्डेय और सुबोध कुमार सिंह राठौड़, झारखंड में प्रतिनिधि श्री निवास सिंह, उत्तर प्रदेश के अयोध्या में अनिरुद्ध प्रताप शर्मा, और सुलतानपुर में गिरीश चन्द्र त्रिपाठी, बिहार के औरंगाबाद जिला में अरविंद कुमार अकेला कार्यरत है।

उपसंपादक श्री सिंह ने बताया की राजधानी पटना में “दिव्य रश्मि” पत्रिका के प्रतिनिधि जितेन्द्र कुमार सिन्हा, रवि शेखर सिन्हा, प्रेम सागर पाण्डेय, जितेन्द्र कुमार मिश्र, मन्दाकिनी कुमारी, देव चन्द्र पंजियार, विनोद कुमार सिंह, राकेश कुमार गुप्ता, चंदन कुमार, उमेश कुमार सिंह, सच्चिदानन्द मिश्र सक्रीय एवं अनुभवी प्रतिनिधि है।

जितेन्द्र कुमार सिन्हा ने बताया कि "दिव्य रश्मि" पत्रिका के संपादक डॉ राकेश दत्त मिश्र ने अपनी भाईचारे का उद्दमपरिचय देते हुए पत्रिका से जुड़े सभी सदस्यों को एक सूत्र में पुष्पमाले की तरह पियो के रखते है। किसी की समस्या को वे अपनी समस्या समझते है उसी प्रकार पत्रिका से जुड़े सभी सदस्य उनको अपना पारिवारिक मुखिया समझते है। इसलिए पत्रिका समूह के लोग "दिव्य रश्मि" पत्रिका को अपनी पत्रिका समझ कर पूरी लगन, निष्ठा और सहयोग के साथ समर्पित होकर कार्यरत है।

कार्यक्रम में संजय मिश्र अणु ने अपनी कविता पाठ से लोगो को मंत्रमुग्ध कर दिया | आज के कार्यक्रम में सर्वश्री कमलेश पुण्यार्क “गुरूजी”, मार्कण्डेय शारदेय,धर्मचन्द्र पोद्दार,राजमणि मिश्र,डॉ मदन दुबे , बाबूलाल मधुकर,शीलेश पुण्यार्क,अरविन्द अकेला,रौनक राज,जितेन्द्र कुमार सिन्हा, धीरेन्द्र गुप्ता ,डॉ पुरुषोतम कुमार, डॉ ऋचा दुबे, नभ्य पोद्दार, अभिषेक कुमार, नन्द किशोर पाठक, देवचन्द्र पंजियार,फाल्गुनी रॉय , लक्ष्मण पाण्डेय,नीरज कुमार पाठक, ब्रजबिहारी पाण्डेय, सुबोध कुमार सिंह, बिनोद कुमार सिंह, सुबोध कुमार सिंह राठौड़, पियूष रंजन, विकास कुमार, सच्चिदानंद मिश्र, डॉ अजित पाठक, डॉ अंकेश कुमार , प्रदीप कुमार, संजय मिश्र अणु , रवि रंजन कुमार, डॉ मुकेश कुमार साह , श्याम श्यामल, ज्ञानी कुमार मिश्र, अरविन्द पाण्डेय आदि लोग उपस्थित थे | धन्यवाद ज्ञापन सुबोध कुमार सिंह ने किया |
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