काव्य गोष्ठी में प्रवाहित हुई भाव सरिता, विभोर हुए श्रोता शहर के सुप्रसिद्ध ग़ज़ल गायक अनिल चंचल के आवास पर|

काव्य गोष्ठी में प्रवाहित हुई भाव सरिता, विभोर हुए श्रोता शहर के सुप्रसिद्ध ग़ज़ल गायक अनिल चंचल के आवास पर|

औरंगाबाद जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के बैनर तले साप्ताहिक काव्य-गोष्ठी आयोजित हुई जिसकी अध्यक्षता सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह तथा संचालन नागेंद्र कुमार दुबे ने किया.
आयोजन का श्रीगणेश उक्त सम्मेलन के अध्यक्ष, जिला विधि संघ के अध्यक्ष रसिक बिहारी सिंह एवं लोकप्रिय ज्योतिर्विद शिव नारायण सिंह द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया. महामंत्री धनंजय जयपुरी द्वारा गणपति वंदना से काव्य-पाठ का आगाज़ हुआ. नवोदित कवि विश्वनाथ कुमार द्वारा बड़े ही मधुर स्वर में वाणी वंदना की प्रस्तुति दी गई. हिमांशु चक्रपाणि की अत्यंत ही भावपूर्ण रचना- "हूं मैं परिंदा मेरा आसमान है पापा, है मेरा हौसला मेरी उड़ान है पापा" की पेशकश पर तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा सदन गुंजायमान हो गया. कुमार सोनू मौर्य की प्रस्तुति- "इक बात सोचता हूं क्या वही हैं बाबूजी, या नहीं हैं बाबूजी, कुछ समझ में आता नहीं" पर उपस्थित लोगों के चेहरे पर उदासी तैरती नज़र आई. संचालन के क्रम में कवि नागेंद्र दुबे ने आज की प्रशासनिक व्यवस्था पर बड़ा ही चुटीला व्यंग्य करते हुए कहा- "एक मदारी वाला देखा, जादू उसका काला देखा, खाकी वर्दी लिए तमंचा, धंधे में मतवाला देखा". उनकी इस प्रस्तुति पर खूब ठहाके लगे. अनिल अनल, विनय मामूली बुद्धि, लवकुश प्रसाद सिंह, जनार्दन मिश्र जलज ने भी एक-से-बढ़कर एक प्रस्तुतियां दीं. बीच-बीच में संगीत प्रेमी अनिल चंचल एवं उनके अनुज ज्योति रंजन सिन्हा ने गीत-ग़ज़ल का गायन कर समा बांध दी. हास्य-व्यंग्य, श्रृंगार, वात्सल्य, वीर इत्यादि विभिन्न रसों की बौछारों का लुत्फ़ उठाते हुए तीन घण्टे का समय मानो मिनटों में व्यतीत हो गया.
अपने उद्बोधन में शिव नारायण सिंह ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से साहित्य सृजन के साथ-साथ प्रस्तुति के लिए सर्जकों को मंच मिलता है, वहीं रसिक बाबू ने कार्यक्रम से नवोदित कवियों को जोड़ने एवं देश प्रेम से ओत-प्रोत कविताओं के सर्जन पर ध्यान देने का सुझाव दिया. सभाध्यक्ष ने नवोदित कवियों को सुझाव दिया कि वे अतुकांत एवं अकविता के स्थान पर छंदोबद्ध रचनाओं का सृजन करें क्योंकि छंदोबद्ध कविता में ही उसके प्राण बसते हैं.कार्यक्रम के अंत में आयोजक, मुख्य अतिथि एवं अध्यक्ष द्वारा उपस्थित काव्य कारों को सम्मान पत्र प्रदान किया गया. इस कार्यक्रम मे उपर्युक्त लोगों के अलावा शहर के कुछ ख्यात बुद्धिजीवी, पत्रकार एवं शिक्षाविद उपस्थित रहे।
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