G20 वसुधैव विध्वंसकम के फर्जी राष्ट्राध्यक्षों का त्याग या दंडित करें भारत- स्वामी बालयोगेश्वर संत निरंजनी अखाड़ा

G20 वसुधैव विध्वंसकम के फर्जी राष्ट्राध्यक्षों का त्याग या दंडित करें भारत- स्वामी बालयोगेश्वर संत निरंजनी अखाड़ा

आज दिनांक 9 मार्च 2023 को दिल्ली में स्वामी बालयोगेश्वर संत निरंजनी अखाड़ा संस्थापक अध्यक्ष विश्व धर्मागम योगाश्रम ट्रस्ट की अध्यक्षता में हिंदू साधु-संतों हिंदू संगठनों की बैठक हुई जिसमें साधु संतों, महंत ,मंडलेश्वरो , जगतगुरु शंकराचार्य के मार्गदर्शन में भारत के अंदर uno से संबंधित दुष्प्रभाव को रोकने के लिए जनता को जागृत कर जनता की रक्षा करने का प्रस्ताव पारित किया गया । 25 11 2014 को भारत के हिंदू संगठनों साधु-संतों ने संयुक्त राष्ट्र संघ की आत्मघाती नीतियों को लेकर राष्ट्राध्यक्षो को चेतावनी दी थी। जिसके 15 दिन बाद संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव श्री बान की मून भारत आए थे और उन्होंने कहा था भारत मुझे अपने घर जैसा लगता हैं, संयुक्त राष्ट्र संघ की नीतियों में परिवर्तन करना आवश्यक हो गया है इसकी नीतियों में परिवर्तन करना ही पड़ेगा। परंतु ढोल कुछ बजाया जा रहा है और कार्य कुछ और ही किया जा रहा है। अभी हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी से क्रिश्चियन पंथ गुरु पोप ने पर्यावरण सुरक्षा पर बात की थी।
सन 2012 में रियो डी जेनेरो में वैश्विक समस्याओं पर्यावरण संकट को लेकर विश्व शिखर वार्ता के विरोध में जनता द्वारा भारी हिंसक प्रदर्शन हुए थे। सम्मेलनों की गलत नीतियों और इनके आर्थिक बजट को लेकर भारी हिंसक प्रदर्शन हुआ था। जिसके बाद दुनिया भर से आये बुद्धिजीवियों ,वैज्ञानिकों और नेताओं ने इस धरती को बचाने और मानव जाति के अस्तित्व को बचाने के लिए इस सम्मेलन का सार केवल दो वाक्यों में रेड अलार्मिंग चेतावनी कह कर बता दिया।


उसके बाद इस चेतावनी के विरुद्ध भारत की सरकार ने पिछले 10 वर्षों में बड़ी शान के साथ में नीतियां लागू की और उसका खूब प्रचार-प्रसार किया । धर्म निष्ठ , कर्तव्य निष्ठ, जिम्मेदार जनता का पैसा बर्बाद किया।
सन 2014 की हमारी चेतावनी की उपेक्षा करके यूएनओ अनलिमिटेड नेगेटिव ऑर्गेनाइजेशन बन चुका है। इसकी नीतियों की जनता के बीच में खुली बहस करने की जरूरत पर भारत के नेता ध्यान नहीं दे रहे हैं । इन मानसिक रोगियों के अहंकार का, उनकी स्वार्थी अमानवीय नीतियों का असली चेहरा जनता के सामने आ जाएगा। वैश्विक समस्याओं और रूस यूक्रेन संकट समाप्त हो जाएगा। वैश्विक समस्याओं को कम करने की दिशा में एक सही पहल की शुरुआत हो सकेगी। जिसको नही होने देना इन स्वार्थी राजनेताओं का पहला प्रयास है।


भारत में पिछले कई वर्षों से भारत की सांस्कृतिक परंपराओं के विरुद्ध पर्यावरण मौसम के विरुद्ध, स्वास्थ्य मूल्यों के विरुद्ध, मानवीय मूल्यों के विरुद्ध, इन आत्मघाती वैश्विक नेताओं की नीतियों के अनुसार भारत सरकार निर्णय ले रही है। जिससे पर्यावरण संकट, खाद्य संकट, अनेक प्रकार के रोग और अर्थिक समस्यायें बढ़ गई हैं। भारत के लोगों की आत्मनिर्भरता नष्ट की जा रही है।


अधर्मी पंथ गुरु के अनुयायियों द्वारा आर्थिक नीतियां , व्यापारिक नीतियां ,वैश्विक खाद्य संकट , पर्यावरण सुरक्षा , जैसे मुद्दों को हाईजैक करके ऐसी नीतियां लागू की जा रही है जिससे समस्याएं पैदा होती रहे बढ़ती रहे और गरीब राष्ट्रों का, गरीब जनता का खूब शोषण किया जा सके।


इन वैश्विक नेताओं द्वारा दानवाधिकार आयोग उर्फ मानवाधिकार आयोग का उपयोग विशेष संप्रदाय को निशाना बनाने के लिए उपयोग किया जा रहा हैं। सत्ता पाने के लिए उपयोग किया जा रहा हैं। अन्याय ,अत्याचार की आर्थिक गुलामी की नीतियां
लागू की जा रही हैं ।


अल्पसंख्यक मुद्दों के मनमाने मापदंड तय करके सत्ता हासिल की जा सके और जिम्मेदार धर्म निष्ठ जनता की जेब काटी जा सके। धर्म निष्ठ जनता का खूब शोषण किया जा सके ऐसी नीतियां लागू की जा रही है।आर्थिक नीतियों के नाम पर आम आदमी के मुंह से रोटी छीनी जा रही है रोगी बनाया जा रहा है। आर्थिक रूप से भारत की आत्मनिर्भरता नष्ट करने की योजनाओं को लागू किया गया हैं। राजनीतिक नेताओ द्वारा भारत के उपयोगी पारंपरिक वृक्षों को नष्ट करने, देसी गोवंश को नष्ट करने , शुद्ध बीज, दूध, पानी,अन्न,आयुर्वेद को नष्ट करने के लिए सरकारी योजनाओं द्वारा युध्द स्तर पर प्रयास किया जा रहा हैं। स्वार्थी राजनेताओं द्वारा वैज्ञानिक, प्राकृतिक , सनातन वैदिक हिन्दू मूल्यों को नष्ट करने ,मानवीय मूल्यों को नष्ट करने की प्रतिस्पर्धा की जा रही हैं। जो विशेष पंथगुरु की नीतियों के तहत छद्म धर्म निरपेक्षता की आड़ में किया जा रहा छद्म युध्द हैं।
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