शक्ति रूप तुम हो नारी

शक्ति रूप तुम हो नारी

बने भार्या प्रीतम प्यारी, घर आंगन महके फुलवारी। 
लक्ष्मी रूप तेरा नारी, अन्नपूर्णा तुम हो अवतारी। 
शक्ति रूप तुम हो नारी

राखी के कच्चे धागों में, बहना रूप में प्यार भरा। 
ममता की मूरत तू सारी, जननी रूप है वसुंधरा।
सृष्टि की तुम सुंदर रचना हो, मां बेटी बहना प्यारी। 
तेरे रूप अनेक जगत में, कुदरत तुझ पर बलिहारी। 
शक्ति रूप तुम हो नारी

दादी नानी बुआ बनती, लाड़ दुलार प्यार लुटाती। 
रिश्तो में मधुरता घोले, घर में नेह सुधा बरसाती। 
घर आंगन महकाती क्यारी, बिटिया होती सबको प्यारी। 
खुशियों से झोली भर जाती, त्याग समर्पण धीरज धारी।
शक्ति रूप तुम हो नारी

रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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