नवनिर्माण है’

नवनिर्माण है’

जितनी सिद्दत से रूठी महबूबा को मनाने को महंगे उपहार लाते हो,,
उससे आधी सिद्दत से भी अगर
एक भी फुटपाथ पे सोनेवालों के लिय छत बनाओ,,,
तो नवनिर्माण संभव है,,,

जितनी फितरत से महंगी गाड़ियों में बैठ कर पिकनिक मनाने जाते हो,,,
उसके आधे फितरत से भी अगर किसी बेसहारा बच्चे को स्कूल छोड़ आओ,,,
तो नवनिर्माण संभव है,,,,

जितनी चाहत से घर में शान की दावत उड़ाते हो,,,
उसकी आधी भी चाहत से यदि किसी भूखे का पेट भर पाओ,,,
तो नवनिर्माण संभव है,,,,

जितनी मासूमियत से कत्ल करते हो किताबों में पड़े न्याय का,,,,
उसके आधी मासूमियत से भी किसी किसी अबला को न्याय दिला पाओ,
तो नवनिर्माण संभव है,,,,

जितनी इज्जत से सज के जाते हो रंगीन गलियों में,,
उतनी इज्जत से कभी किसी बेबस को डोली बिठाओ,,
तो नवनिर्माण संभव है,,,

रजनी प्रभा
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ