दिल के दर्द को...

दिल के दर्द को...

चलो दिलकी पीड़ा को
कुछ कहकर कम करें।
उनके दिलमें हम आज
जाने का प्रयास करें।
हो सकता है की पहुंचकर
उनकी पीड़ा को मिटा सकू।
और दोनों के अरमानों को
साथ मिलकर पूरा कर सके।।


दिल का दर्द मिटने का
नाम नहीं ले रहा है।
और अपने प्यार की खातिर
ये उफ भी नहीं कर रहा।
भले ही टूट क्यों न जाये
मेरी साँसे की ये धड़कन।
पर अपनी मोहब्बत को
मरते दम तक आबाद रखूंगा।।


मोहब्बत की ये राहे
कभी आसान नहीं होती।
बिना काँटों पर चले के
मोहब्बत रंग नहीं लाती।
इसलिए इसमें जीने वालों की
बहुत कम संख्या होती।
क्योंकि मोहब्बत होती ही
जनाब कुछ इसी तरह की।।


करो मोहब्बत किसी से तो
उसे दिलसे निभाना सीखो।
क्योंकि मोहब्बत भी किसी
पूजा इबादत से कम नहीं हैं।
इसमें जीने वाले लोग
जन्नत की अनभूति करते।
और अपने आपको वो
स्वर्ग में मेहसूस करते है।।


जय जिनेंद्र संजय जैन "बीना" मुंबई
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