छायावाद के प्रमुख स्तम्भ थे 'प्रसाद', वाल्मीकि रामायण का प्रामाणिक अनुवाद किया 'मुक्त' ने, 'साहित्य-सारथी' के रूप में स्मरण किए जाते हैं बलभद्र कल्याण :-डा अनिल सुलभ

छायावाद के प्रमुख स्तम्भ थे 'प्रसाद', वाल्मीकि रामायण का प्रामाणिक अनुवाद किया 'मुक्त' ने, 'साहित्य-सारथी' के रूप में स्मरण किए जाते हैं बलभद्र कल्याण :-डा अनिल सुलभ 

  • साहित्य सम्मेलन में आयोजित हुआ जयंती समारोह एवं कवि-सम्मेलन ।

पटना, २९ जनवरी। विश्व विश्रुत महाकाव्य 'कामायनी' के महान रचनाकार महकवि जयशंकर प्रसाद हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित काल 'छायावाद' के प्रमुख स्तम्भ थे। स्तुत्य कवि प्रफुल्लचंद्र ओझा 'मुक्त' को, उनके द्वारा वाल्मीकि रामायण के प्रामाणिक हिन्दी अनुवाद के लिए सदा स्मरण किया जाएगा। दशकों तक अपनी द्विचक्रिका-रथ पर सवार होकर, पटना नगर में, घूम-घूम कर साहित्य का जागरण करने वाले छंद के यशस्वी कवि बलभद्र कल्याण तो 'साहित्य-सारथी' ही थे।
यह बातें रविवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती समारोह एवं कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि प्रसाद ने 'कामायनी' के माध्यम से अपनी विराट चेतना और काव्य-सामर्थ्य का परिचय दिया है। इसमें काव्य के समस्त सूक्ष्म तत्व उच्च भाव में व्यंजित हुए हैं। 'मुक्त' जी को स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि जिन साहित्यकारों ने स्वतंत्रता-संग्राम और भारतीय राजनीति में महनीय योगदान दिया, उनमें मुक्त जी का स्थान अत्यंत वंदनीय है।
डा सुलभ ने कहा कि अद्भुत ऊर्जा के साहित्यकार थे बलभद्र कल्याण। साहित्य और साहित्यकारों के लिए उनके मन में जो श्रद्धा थी वह अत्यंत श्रद्धेय है। पिछली सदी के अंतिम और वर्तमान के प्रथम दशक में, जब पटना नगर में साहित्यिक गतिविधियों का अकाल पड़ गया था, कल्याण जी ने उत्सवों की झड़ी लगाकार नव-जागरण उत्पन्न किया। साहित्यकारों और प्रबुद्धजनों को जोड़-जोड़ कर उन्होंने अपना अभियान चलाया और कवियों में नव-प्राण फूंके।
वरिष्ठ साहित्यकार एवं सम्मेलन के उपाध्यक्ष जियालाल आर्य, डा शंकर प्रसाद, डा सुधा सिन्हा, ज्योति मिश्र, कल्याण जी के जमाता आशीष कुमार सिन्हा तथा बैंक अधिकारी सुशांत सौरव ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र की वाणी-वंदना से हुआ। वरिष्ठ कवयित्री सुजाता मिश्र, शायरा तलत परवीन, गीत के चर्चित कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय, डा सुलक्ष्मी कुमारी, चितरंजन भारती, श्याम बिहारी प्रभाकर, डा अन्नपूर्णा श्रीवास्तव, डा आर प्रवेश, सदानन्द प्रसाद, डा नागेंद्र कुमार शर्मा, कृष्णा मणिश्री, नरेंद्र कुमार, बाँके बिहारी साव, नेहाल कुमार सिंह 'निर्मल' आदि कवियों एवं कवयित्रियों ने काव्य-रस से श्रोताओं को आप्यायित किया। मंच का संचालन डा अर्चना त्रिपाठी ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।वरिष्ठ समाजसेवी रामाशीष ठाकुर, डा एल पी गुप्ता, अधिवक्ता मनोज नारायण, वंदना प्रसाद, सरिता सिंह, अँचला कुमारी, प्रवीण कुमार, विजेता कुमारी, प्रदीप गुप्ता, अभिषेक कुमार, पंकज चित्रकार समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्ध श्रोता उपस्थित थे।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ