ठिठुरन
सर्द हवा ठंडी ठंडी, बहती है पुरजोर।
ठिठुरते हाथ पांव, अलाव जलाइए।
कोहरा ओस छा जाए, शीतलहर आ जाए।
कंपकंपी बदन में, ठंड से बचाइए।
सूरज धूप सुहाती, ठण्डक बड़ी सताती।
रजाई कंबल ओढ़, चाय भी पिलाइए।
बहता हवा का झोंका, लगता तलवारों सा।
ठिठुरती ठंडक में, गर्म मेवा खाइए।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थानहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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