नटवर साहित्य परिषद के कवि सम्मेलन में बहती रही गीत - ग़ज़लों की बयार

नटवर साहित्य परिषद के कवि सम्मेलन में बहती रही गीत - ग़ज़लों की बयार

औरंगाबाद से दिव्य रश्मि संवाददाता अरविन्द अकेला की खबर ।
स्थानीय भगवान लाल स्मारक भवन स्थित श्री नवयुवक समिति के सभागार में नटवर साहित्य परिषद की ओर से मासिक कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन किया गया। इस कवि सम्मेलन की अध्यक्षता अंग्रेजी के प्रोफेसर व हिन्दी के वरिष्ठ कवि डॉ. देवव्रत अकेला ने की जबकि मंच संचालन वरिष्ठ कवि - गीतकार डॉ. विजय शंकर मिश्र ने किया।
कवि सम्मेलन के शुरूआत में डॉ. विजय शंकर मिश्र ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी भारत के लोकप्रिय राजनेता और कवि थे। उन्होंने अपना सारा जीवन राष्ट्र के निर्माण और विकास में दिया।
कवि सम्मेलन की शुरुआत आचार्य श्री जानकी वल्लभ शास्त्री जी के गीत से किया गया। इसके बाद नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी की कविता ' तिरंगा लहराए ऊंचा हर दम,मुझे गर्व है अपने ध्वज पर,अटल हैं इरादे अटल रहेंगे,नमन करूं काफी सराही गयी। अटल जी के जन्म दिन पर सभी कवियों की रचना सराही गयी। सृजन गवाक्ष पत्रिका के संपादक व वरिष्ठ कवि - गीतकार डॉ.विजय शंकर मिश्र की रचना गली-पची सी देह धूप की, कुहरा हरा- भरा सा है ' काफी पसंद की गयी।
वरिष्ठ कवि प्रोफेसर ( डॉ.) देवव्रत अकेला की कविता' कहां खो गये भगवान ? कहां सो गये भगवान ? अगर जगे होते भगवान दीन - दुःखी न होंगे ,सभी मजहब होते एक समान ' काफी सराही गयी । कवयित्री डॉ कुमारी अनु की 'कद का घटना - बढ़ना भी एक गणितीय समीकरण की तरह चलता ही रहता है ' सुनाई जिसे खूब सराहा गया। भोजपुरी के वरिष्ठ कवि सत्येन्द्र कुमार सत्येन की' गरीबन के बिटिया चरावेली बकरियां अखाड़ाघाट पूलवा के पास ' सराही गयी। युवा कवि सुमन कुमार मिश्र ने' हम है छोटे लोग, हम औकाद न आंका करते है , होती हमारी खुशियां छोटी गम भी छोटा रखते हैं ', युवा कवि विवेक कुमार सिंह ने ' मुझसे ही सब बने हैं ,मैं ही सबका मूल हूं ',कवयित्री सविता राज ने' मानस में उठा गमों का सैलाब, नयनों से छलके अश्रु, गम कहना जटिल होने लगा, सब्र का दामन छूट रहा, सहना भी मुश्किल होने लगा ',वरिष्ठ कवि विजय शंकर प्रसाद ने ' पहाड़ियों को चिरती पानी की धारा, आसमान की ओर तनी गरदनें',वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बी. एल सिंघानियां ने ' तुम मुझे जला न पाओगे ',युवा कवि सागर सजल ने'अपने जख्मों को शब्दों से छलना होगा, इस तरह यहां तेरी मोहब्बत से ', वरिष्ठ कवि मोहन कुमार सिंह ने' कितना अच्छा होता जो तू मेरा होता ', वरिष्ठ कवि अंजनी कुमार पाठक ने' दफ्तर का एक किरानी पैसे से सुनता है ',वरिष्ठ कवि सहज कुमार ने' ये लोग दिल्ली में बैठकर किसानों के बारे में बात कर रहे ये लोग ऐंठकर, जवानों के बारे में ', वरिष्ठ कवि डॉ जगदीश शर्मा ने - ' सारे जहां में चल रहा , महिलाओं का दौर है ,सभी दिशा देश में , अव्वल नंबर एक है ' , वरिष्ठ कवि अरुण कुमार तुलसी ने - ' अतीत के मर्म स्थल में, वर्तमान के पटल पर ', युवा कवि उमेश राज ने' हमने फूलों से दिल लगाना छोड़ दिया , हमने सजदे में सर झुकाना छोड़ दिया ', युवा कवि संतोष कुमार सिंह ने'चिंतनम स्मारक ' , कवयित्री मुन्नी चौधरी प्रभा ने 'मेरी गुजरानी मुझे न याद दिलाया करो, मैं भूलना चाहती हूं इसे कुरेदा न करों ', ने अपनी कविता सुनाकर खूब तालियां बटोरी।
इस मौके पर रणबीर अभिमन्यु , ब्रजेश गुप्ता ,रवि कुमार एवं सुनील कुमार सिंह आदि ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ . नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी ने किया।
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