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कोरोना को पराजित करने में मिली सफलता

कोरोना को पराजित करने में मिली सफलता

(आर.एस. द्विवेदी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
कोरोना जैसी महामारी को भारत में नियंत्रित करने में सफलता मिली है। हमारे देश में स्वास्थ्य अधिकारियों ने विभिन्न राज्यों से कोरोना संक्रमण के जो आंकड़े दिये हैं, उनमें यही संकेत मिलता है। पिछले एक महीने में इस महामारी के प्रभाव को रोका गया है। यह वैक्सीनेशन और बचाव के तरीके अपनाने से ही संभव हो पाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंडोनेशिया के बाली में जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में भी इसका उल्लेख किया था। यह महामारी कितनी खतरनाक है, इसका सटीक ब्यौरा अब तक नहीं मिल पाया। हाल ही में एक रिसर्च में पाया गया कि महामारी से जुड़े तनावों ने टीन एजर्स के दिमाग की उम्र को बढ़ा दिया है। भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

हमारे देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 274 नये मामले सामने आए हैं, जो कि पिछले माह की इस अवधि की तुलना में कम है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 2 दिसम्बर को बताया कि सुबह सात बजे तक 219.93 करोड़ से अधिक टीके दिये जा चुके हैं। देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 95 सक्रिय मामले कम होने से इनकी संख्या घटकर 4,672 रह गयी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि पिछले 24 घंटों में कोरोना संक्रमण से 368 लोगों के मुक्त होने से कुल संख्या बढ़कर 4,41,37,617 हो गयी है और स्वस्थ होने की दर 98.80 प्रतिशत है। इसी अवधि में कोरोना महामारी के संक्रमण से एक मरीज की जान जाने से, मृतकों का आंकड़ा 5,30,624 हो गया है। सक्रिय मामलों की दर 0.1 प्रतिशत है और मृत्युदर 1.19 फीसदी है। मंत्रालय ने बताया कि देश में पिछले 24 घंटों में चार राज्यों में कोरोना सक्रिय मामलों में वृद्धि हुई है और बाकी राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों में सक्रिय मामले घटे हैं। इनमें से कर्नाटक में छह, तेलंगाना में छह और गुजरात में दो, मिजोरम में एक कोरोना का नया मामला सामने आया है।

केरल में 21 सक्रिय मामलों के घटने से इनकी कुल संख्या घटकर 1,632 रह गयी है। कोरोना महामारी से उबरने वालों की संख्या बढ़कर 67,53,258 हो गई है और मतृकों की संख्या 71,498 है। इसी प्रकार कर्नाटक में कोरोना संक्रमण के छह सक्रिय मामले बढ़ने से इनकी कुल संख्या बढ़कर 1,625 हो गयी है। इससे निजात पाने वालों की कुल संख्या बढ़कर 40,29,381 तक पहुंच गयी है और मृतकों की संख्या 40,303 पर स्थिर है। महाराष्ट्र में 22 सक्रिय मामले घटकर 373 रह गये हैं। इस दौरान 72 लोगों के स्वस्थ होने के बाद इससे निजात पाने वालों की कुल संख्या बढ़कर 79,87,070 तक पहुंच गयी है। राज्य में मृतकों की संख्या 1,48,407 पर स्थिर है। तमिलनाडु में कोरोना संक्रमण के 20 सक्रिय मामलों में कमी आने से इनकी कुल संख्या घटकर 178 रह गयी है। इस बीमारी से निजात पाने वालों की संख्या 35,55,932 हो गयी है। राज्य में मृतकों की संख्या 38,049 हो गयी है।

राष्ट्रीय राजधानी में पिछले 24 घंटे में कोरोना का एक भी नया मामला सामने नहीं आया है जिससे सक्रिय मामलों की संख्या 27 पर स्थिर है। राजधानी में इस महामारी से ठीक होने वालों की संख्या बढ़कर 1980426 तक पहुंच गयी है और इस महामारी से मृतकों का आंकड़ा 26518 हो गया है। गुजरात में कोरोना के दो सक्रिय मामला बढ़ने से इनकी कुल संख्या बढ़कर 201 हो गयी है। इस महामारी से ठीक होने वालों की कुल संख्या 1266212 तक पहुंच गयी है और मृतकों का आंकड़ा 11043 पर बरकरार है। उत्तर प्रदेश में कोरोना के पांच मामले घटने से इनकी संख्या घटकर 122 रह गयी है और इसके साथ ही कोरोना से अब तक 2104281 लोग स्वस्थ हो चुके हैं जबकि यहां मृतकों की संख्या 23632 है। तेलंगाना में कोरोना के छह सक्रिय मामला बढ़ने से इनकी कुल संख्या बढ़कर 53 हो गयी है। इस महामारी से ठीक होने वालों की कुल संख्या 836941 तक पहुंच गयी है और मृतकों का आंकड़ा 4111 पर बरकरार है।

राहत की बात है कि केन्द्र शासित प्रदेश अंडमान-निकोबार द्वीप, असम, दादर एवं नागर हवेली, दमन एवं दीव, लक्षद्वीप, नागालैंड और त्रिपुरा में कोरोना का एक भी सक्रिय मामला नहीं है। इसके अलावा नौ राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेश में कोरोना का कोई नया सक्रिय मामला सामने नहीं आया है।

कोरोना महामारी से जुड़े तनावों ने टीनएजर्स के दिमाग की उम्र को बढ़ा दिया और भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। एक नए रिसर्च में कहा गया है कि इन तनावों के चलते किशोर उम्र के बच्चों से उनकी चंचलता और चपलता छिन गई। उन्होंने वयस्क लोगों की तरह ज्यादा सोचना शुरू कर दिया है। अध्ययन में नए निष्कर्षों के हवाले से बताया गया है कि किशोरों पर महामारी के न्यूरोलॉजिकल और मानसिक स्वास्थ्य प्रभाव और भी बदतर हो सकते हैं। इन्हें बायोलॉजिकल साइकेट्रीरू ग्लोबल ओपन साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका के अध्ययन के अनुसार, अकेले 2020 में वयस्कों में चिंता और अवसाद की रिपोर्ट में पिछले वर्षों की तुलना में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। इस संबंध में शोध पत्र के प्रथम लेखक, इयान गोटलिब ने कहा, ‘‘ हम पहले से ही वैश्विक शोध से जानते हैं कि महामारी ने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, लेकिन हमें नहीं पता था कि क्या असर डाला है या महामारी ने उनके दिमाग को भौतिक रूप से कितना प्रभावित किया।’’

गोटलिब ने कहा कि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, मस्तिष्क की संरचना में परिवर्तन स्वाभाविक रूप से होते हैं। यौवन और शुरुआती किशोरावस्था के दौरान, बच्चों के शरीर, हिप्पोकैम्पस और एमिग्डाला (मस्तिष्क के क्षेत्र जो क्रमशः कुछ यादों तक पहुंच को नियंत्रित करते हैं और भावनाओं को व्यवस्थित करने में मदद करते हैं) दोनों में वृद्धि का अनुभव करते हैं। उसी समय, कोर्टेक्स में टिश्यू पतले हो जाते हैं। महामारी से पहले और उसके दौरान लिए गए 163 बच्चों के एक समूह के एमआरआई स्कैन की तुलना करके, गोटलिब के अध्ययन से पता चला कि लॉकडाउन के अनुभव के कारण किशोरों में विकास की यह प्रक्रिया तेज हो गई। उन्होंने कहा, ‘‘ अब तक मस्तिष्क की आयु में इस प्रकार के त्वरित परिवर्तन केवल उन बच्चों में प्रकट हुए हैं जिन्होंने लंबे समय तक विपरीत हालात का सामना किया चाहे वह हिंसा, उपेक्षा, पारिवारिक शिथिलता या ऐसे ही कोई अन्य कारक हों।’’ गोटलिब ने कहा कि इन अनुभवों को जीवन में बाद में खराब मानसिक स्वास्थ्य परिणामों से जोड़ा जाता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि स्टैनफोर्ड टीम ने जो मस्तिष्क संरचना में बदलाव देखे हैं, वे मानसिक स्वास्थ्य में बदलाव से जुड़े हैं। उन्होंने कहा , ‘‘यह भी स्पष्ट नहीं है कि परिवर्तन स्थायी हैं।’’ गोटलिब स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में स्टैनफोर्ड न्यूरोडेवलपमेंट, अफेक्ट और साइकोपैथोलॉजी (एसएनएपी) प्रयोगशाला के निदेशक भी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ क्या उनकी कालानुक्रमिक आयु अंततः उनके ‘मस्तिष्क की आयु’ तक पहुंच जाएगी? यदि उनका मस्तिष्क स्थायी रूप से उनकी कालानुक्रमिक आयु से अधिक पुराना है, तो यह स्पष्ट नहीं है कि भविष्य में परिणाम क्या होंगे।
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