पवनसुत सर्वांगीण विकास केंद्र द्वारा प्रकाशित दिव्य रश्मि पत्रिका परिवार ने मनाया महामना एवं अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती |
पटना २५ दिसम्बर को पवनसुत सर्वांगीण विकास केंद्र द्वारा प्रकाशित दिव्य रश्मि पत्रिका के द्वारा महामना एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयन्ती मनाई गई |
कार्यक्रम में उपस्थित पत्रकारों एवं संस्था के सदस्यों को संबोधित करते हुए पत्रिका के सम्पादक डॉ राकेश दत्त मिश्र ने कहा कि 25 दिसंबर 1861 को जन्मे पं. मदन मोहन मालवीय जी ने बीएचयू की स्थापना के लिए महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने जो कुछ भी किया है, वह अपने आप में अनमोल है। उनके छोटे बड़े प्रयासों को समय-समय पर लोग याद भी करते हैं। महामना की दूर दृष्टा का ही परिणाम है कि जिस विश्वविद्यालय की स्थापना उन्होंने की थी, उसने 100 साल से अधिक समय पूरा कर लिया है। देश, विदेश में आज भी विश्वविद्यालय के छात्र उच्च पदों पर आसीन होकर महामना के सपने को साकार करने में लगे हैं। वैसे तो स्थापना में तत्कालीन समय में राज दरबार और सरकार से अनुदान मिला, लेकिन आम लोगों के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने लोगों से 10 रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का अनुदान मांगा था।
महामना पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म 1861 में प्रयागराज में हुआ था। विश्वविद्यालय स्थापना की बात करें तो 1906 में कुंभ के अवसर पर प्रयाग में मालवीय जी की मौजूदगी में सनातन धर्म महासभा के अधिवेशन में काशी में भारतीय विश्वविद्यालय खोलने का निर्णय लिया गया। इसके बाद से ही महामना प्रयास में जुट गए। 15 जुलाई 1911 में उनके द्वारा जारी एक महत्वपूर्ण अभिलेख पर गौर करें तो उस समय स्थापना के लिए एक करोड़ रुपये की जरूरत थी। हालांकि रकम तो बड़ी थी, लेकिन महामना के एक आह्वान पर बड़ी धनराशि लोगों ने अनुदान में दी।
उनके दस्तावेज के अनुसार देखें तो दस्तावेज में लिखा है कि विवि की स्थापना के लिए जनवरी 1936 में राज दरबार और आम लोगों के सहयोग से 1.30 करोड़ रुपये मिला जबकि उस समय भारत सरकार ने 21 लाख रुपये का अनुदान दिया था। महामना ने अपने पत्र में लिखा था कि देश में किसी भी संस्था को अब तक इतनी बड़ी धनराशि नहीं मिली थी। इसी धनराशि से विश्वविद्यालय में स्थापना संबंधी कामकाज शुरू किया गया।
एक नजर में अनुदान के लिए पहल
लोग अनुदान
20 एक लाख
10 50 हजार
100 10 हजार
200 5 हजार
500 2 हजार
1000 1 हजार
2000 500 रुपये
10,000 100 रुपये
50,000 10 रुपये
विश्वविद्यालय स्थापना में सबसे बड़े सहयोगी रहनेवालों में लॉर्ड हार्डिंग, महाराजा दरभंगा, महाराजा बनारस, एनी बेसेंट, सर सुंदरलाल, सर एसएच बटलर रहें है |
महामना जी हर समय विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर छात्रोें, शिक्षकों को बेहतर सुविधाएं दिलाने की कोशिश में रहे। 1911 में हिंदू यूनिवर्सिटी सोसाइटी के गठन के साथ ही विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में उन्होंने जो प्रयास किए, वह अतुलनीय है। उनके सपनों को साकार करने की दिशा में सभी को प्रयास करते रहना चाहिए। स्थापना में एक आने की भी मदद करने वाले का मालवीय जी ने स्वागत किया।
संस्था के अध्यक्ष पुरुषोतम कुमार ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि देश के संत्रस्त जनजीवन को न्याय, शिक्षा, संस्कार और रचनात्मक विचारों से संजीविनी देने वाले महामना पं. मदन मोहन मालवीय जी एवं विराट व्यक्तित्व, कृतित्व एवं प्रतिभा से राजनीतिक रंगमंच से जनतंत्र को नई दशा-दिशा देकर आलोकित करने वाले भारत रत्न अटलबिहारी बाजपेई जी कई पीढ़ियों के प्रेरणा स्रोत हैं । अपनी संस्कृति, शिक्षा एवं अपने राष्ट्र के प्रति हमेशा सजग, सचेत रहने की प्रेरणा देते हुए दोनों महापुरुषों ने अपने जीवन को राष्ट्रहित में समाहित कर दिया।
इस कार्यक्रम में संस्था के अध्यक्ष पुरुषोतम कुमार , पत्रिका के उपसम्पादक सुबोध कुमार सिंह ने भी अपने विचार रखें |
कार्यक्रम में उपस्थित रहनेवाले विकास कुमार, पियूष रंजन,महेश कुमार, भोला झा, राजीव झा,पप्पू सिंह, प्रभाकर चौबे, चंद्रकांत मिश्र, लक्ष्मण पाण्डेय आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
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