अब इंसानियत के लिए होगा वैश्विक व्यापार

अब इंसानियत के लिए होगा वैश्विक व्यापार

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
दुनिया की अर्थव्यवस्था मंे सबसे ज्यादा भागीदारी निभाने वाले 20 देशों के समूह जी20 की अध्यक्षता ग्रहण करते हुए भारत के प्रधानमंत्री ने कहा कि अब वैश्विक व्यापार इंसानियत को प्राथमिकता पर रखकर होगा। भारतीय संस्कृति मंे वसुधैव कुटुम्बकम अर्थात् समूची पृथ्वी ही एक परिवार है, इसको व्यवहार मंे लाने का प्रयास नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं। जी-20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। इन देशों मंे ही सकल घरेलू उत्पाद अर्थात जीडीपी का 85 फीसद हिस्सा रहता है और 75 फीसद व्यापार भी इन्हीं देशों के माध्यम से हो रहा है तो इंसानियत को सरसब्ज रखने का दायित्व भी इन्हीं देशों पर होना चाहिए। पहली दिसम्बर से भारत ने जी-20 देशों के समूह की अध्यक्षता संभाली है। मोदी ने संकेत दिया है कि आने वाले वर्ष में हम कैसे वैश्विक कल्याण के लिए काम कर सकते हैं। जी20 के नये अध्यक्ष ने साफ शब्दों में कहा कि पूरे इतिहास के दौरान मानवता का जो स्वरूप होना चाहिए था, उसमंे कमी दिखाई पड़ रही है। मोदी ने कहा कि हम सीमित संसाधनों के लिए भी लड़े। विचारों, विचारधाराओं और पहचानों में टकराव को ही आदर्श मानते रहे हैं जो इंसानियत के विपरीत है। लोग बीमारी से जूझते रहे और हम जमाखोरी करते रहे, इस प्रकार की सोच को बदलने का जी20 प्रयास करेगा। यह भी एक सुखद संयोग है कि भारतीय प्रवासियों ने भारत की सबसे ज्यादा आर्थिक मदद की है।

अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के प्रमुख मंच जी20 समूह की अध्यक्षता भारत ने संभा ली है। इस खास मौके को यादगार बनाने के लिए जी20 के लोगो को यूनेस्को, विश्व धरोहर स्थलों समेत 100 स्मारकों को 1 दिसंबर से 7 दिसंबर तक सात दिनों के लिए रोशन किया जाएगा। इन साइट्स में श्रीनगर के शंकराचार्य मंदिर से लेकर दिल्ली के लाल किला और तंजावुर के चोल मंदिर भी खास रोशनी से जगमगाते रहेंगे। इन 100 स्थलों की सूची में दिल्ली स्थित हुमायूं का मकबरा और पुराना किला तो गुजरात में मोढेरा का सूर्य मंदिर, ओडिशा में कोणार्क का सूर्य मंदिर शामिल है। इस साल की अध्यक्षता के दौरान, भारत 50 से ज्यादा शहरों में 32 विभिन्न क्षेत्रों के लिए काम कर रहे देशों की करीब 200 बैठकों की मेजबानी करेगा। अगले साल के इस शिखर सम्मेलन के लिए, भारत के प्रमुख उद्देश्यों की बात करें तो देश में आ रहे डिजिटल बदलाव को उजागर करने के साथ दुनिया में पर्यावरण के समुचित और सतत विकास के लिए सस्ती टेक्नालाजी मुहैया कराने पर भी जोर दिया जाएगा। एशिया में छाए वित्तीय संकट के बाद साल 1999 में वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर गंभीर चर्चा करने के लिए वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों को मंच दिलाने के मकसद से जी20 की स्थापना की गई थी। जी-20 यानी 20 देशों का यह समूह दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर सरकारी मंच है। इस खास समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य के साथ मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ भी शामिल हैं। जी20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 85 फीसदी वैश्विक व्यापार का 75 फीसदी से अधिक और दुनिया की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।

भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मंच जी20 की अध्यक्षता कर रहा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंसानियत की संपूर्ण भलाई के लिए मूलभूत सोच बदलने की जरूरत पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की एक साल की जी20 अध्यक्षता समग्र, महत्वकांक्षी, निर्णायक और कार्योन्मुख होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आने वाले साल में हम कैसे वैश्विक कल्याण के लिए समग्र, महत्वाकांक्षी, कार्योन्मुख और निर्णायक एजेंडे के आधार पर काम करेगा। भारत का ध्यान आतंकवाद से लड़ने और आर्थिक मंदी और पर्यावरण बदलाव जैसी वैश्विक चुनौतियों से लड़ने में एकजुटता लाने पर रहेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने जी20 की अध्यक्षता के अवसर अपने विचार साझा करते हुए लिखा, हमारी परिस्थितियां ही हमारी मानसिकता को आकार देती हैं। पूरे इतिहास के दौरान मानवता का जो स्वरूप होना चाहिए था, उसमें एक प्रकार की कमी दिखी। हम सीमित संसाधनों के लिए लड़े, क्योंकि हमारा अस्तित्व दूसरों को उन संसाधनों से वंचित कर देने पर निर्भर था। विभिन्न विचारों, विचारधाराओं और पहचानों के बीच, टकराव और प्रतिस्पर्धा को ही जैसे आदर्श मान बैठे। प्रधानमंत्री कहते हैं, दुर्भाग्य से, हम आज भी उसी शून्य-योग की मानसिकता में अटके हुए हैं। हम इसे तब देखते हैं, जब विभिन्न देश, क्षेत्र या संसाधनों के लिए आपस में लड़ते हैं। हम इसे तब देखते हैं, जब आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को हथियार बनाया जाता है। हम इसे तब देखते हैं, जब कुछ लोगों द्वारा टीकों की जमाखोरी की जाती है, भले ही अरबों लोग बीमारियों से असुरक्षित हों। प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि भारत की जी-20 की अध्यक्षता दुनिया में एकता की इस सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देने की ओर काम करेगी। जी20 के लिए भारत का थीम है- एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य है।

इंडोनेशिया के बाली में 15 से 16 नवंबर को हुए जी20 सम्मेलन के समापन समारोह में भारत को इस प्रभावशाली समूह की अध्यक्षता दी गई थी। भारत को जी20 संगठन की अध्यक्षता एक साल के लिए मिली है।

इस बीच सुखद संयोग भी हुआ है। भारत से बाहर रहने वाले प्रवासियों ने इस साल भारत में रिकॉर्ड स्तर पर पैसा भेजा है। इससे एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को एक नया बूस्ट मिलेगा। ब्लूमबर्ग के अनुसार, भारत दुनिया में सबसे अधिक रेमिटेंस का पैसे भेजे जाने वाला देश बनने की कगार पर है। इस साल भारत में वित्त प्रेषण का बहाव 12फीसद अधिक रहा है। वल्र्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इस साल करीब $100 अरब का रेमिटेंस बढ़ा है। इससे भारत मैक्सिको, चीन और फिलिपीन्स में आने वाले पैसे की तुलना में कहीं आगे बढ़ गया है। अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे अमीर देशों में भारत के कुशल कामगार प्रवासी रहते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, यह समूह अब भारत में अधिक पैसा भेज रहा है। पिछले कुछ सालों में भारतीय गल्फ देशों में कम तनख्वाह वाले काम से दूर हटे हैं। सैलरी बढ़ी है, रोजगार बढ़ा है और रुपया कमजोर हुआ है। यही वजहें रेमिटेंस में बढ़त का कारण बनी हैं। दुनिया के सबसे बड़े डायस्पोरा से आने वाला पैसा भारत के लिए कैश का एक बड़ा स्रोत है। भरत ने पिछले साल अपने विदेशी मुद्रा खाते से करीब $100 बिलियन खो दिए थे। रेमिटेंस भारत की कुल जीडीपी का 3 प्रतिशत है। यह भारत के लिए वित्तीय घाटे को भरने में भी मदद करता है। वल्र्ड बैंक ने भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के हवाले से बताया कि अधिक कमाई वाले देशों से भारत के लिए कैश ट्रांसफर 2020-21 में 36फीसद पहुंच गया। यह 2016-2017 के 26फीसद से कहीं अधिक है। इसी दौरान पांच गल्फ देशों जैसे सऊदी अरब, यूएई से यह रेमिटेंस 54फीसद से घट कर 28फीसद रह गया है। भारत की आर्थिक मजबूती जी20 के लिए मोदी के संकल्प को कार्य रूप मंे बदल देगी।
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