संस्कृति के पुनरुत्थान हेतु परंपराओं का संकल्पित निर्वहन' विषय पर नई दिल्ली में एक सभा आदर्श विकास एवं वेलफेयर सोसाइटी के द्वारा आयोजित की गयी।जिसकी अध्यक्षता श्री शंकर यादव ने की।
इस सभा में बतौर मुख्य अतिथि अंतर्राष्ट्रीय संगठन भारतीय जन महासभा के अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने कहा कि आज की इस व्यस्त एवं संकुचित जीवन शैली में हम सभी अपने कुछ प्रमुख त्यौहारों तक ही सीमित हो गये हैं एवं अपने सांस्कृतिक मूल्यों को भूलते जा रहे हैं। इन सब के निवारण हेतु हमें अपने-अपने क्षेत्रों के छोटे छोटे पर्वों को संकल्पित रूप से मनाने का क्रम प्रारम्भ करना होगा। हमारी पुरातन परम्पराएँ पूरी तरह से वैज्ञानिक एवं सूक्ष्म प्रभावों वाली हैं। अतः अपनी छोटी-छोटी परंपराओं का निर्वाह भी संकल्पित रूप से किया जाए। पहली रोटी गाय की, आखरी अथवा बची हुई रोटी कुत्ते की, भोजन बनने के उपरांत प्रथम ग्रास अग्नि को समर्पित करना (बलिवैश्य), चींटी की बाम्बी में अनाज अथवा आटा डालना, श्राद्ध पक्ष में अधिकाधिक कौओं को खाना खिलाना, ऐसे अनेकानेक छोटी-छोटी किंतु बड़ी वैज्ञानिक परम्पराएँ हैं, जिनका संकल्पित निर्वहन आज के युग में सनातन संस्कृति के पुनरुत्थान हेतु अनिवार्य है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री शंकर यादव ने कहा कि आज की महती आवश्यकता है कि हम अपने रीति-रिवाजों के अनुसार ही कार्य करें। तभी अपने समाज का भला हो सकेगा और हम अपने अस्तित्व को बनाए रख सकेंगे।
धन्यवाद ज्ञापन दीप शेखर सिंहल ने किया।
इस सभा में मुख्य रुप से शंकर यादव के अलावे गोविंद जायसवाल, दीप शेखर सिंहल,
विनोद वशिष्ट, अशोक कुमार, श्रीमती पूनम शर्मा, सरला देवी, टीना सिंहल, रूबी कुमारी, पिंकी मिश्रा एवं विपिन गार्डन एक्सटेंशन कॉलोनी के काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।
डॉ प्रतिभा गर्ग दीप शेखर सिंहल
+65 8427 1043 99112 57085
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