योगी की नीतियों से निवेशक संतुष्ट

योगी की नीतियों से निवेशक संतुष्ट

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)

रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है-
जिमि सरिता सागर महुं जाही।
जद्यपि ताहि कामना नाही।।
तिमि सुख सम्पत्ति बिनहि बोलाएं।
धरमसील पहिं जाहि सुभाएं।।

अर्थात् समुद्र ने कभी भी जल की कामना नहीं की, फिर भी नदियां स्वतः ही उसमें समा जाती है एवं वह सदा जल से ही भरा रहता है। इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति धर्म का पालन कर अपने को सुयोग्य बना ले तो उसे सुपात्र समझ कर धन सम्पत्ति स्वयं ही उसके पास आ जाती है। गोस्वामी तुलसीदास की इन पंक्तियों की याद बरबस तब आयी जब अभी पिछले दिनों खबर पढ़ी कि उत्तर प्रदेश में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से पहले ही सवा लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव आ गये हैं। योगी आदित्यनाथ की सरकार प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए निवेशकों का सम्मेलन अर्थात् ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) का आयोजन कराती हैं। इस बार भी फरवरी 2023 में जीआईएस का वृहद स्तर पर आयोजन होगा। इस समिट के पहले ही सवा लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इसके पीछे योगी सरकार की अच्छी नीतियां भी है। इनमें सिंगल बिंडो पोर्टल निवेश मित्र के माध्यम से आनलाइन 353 सेवाएं विशेष महत्व रखती है। प्रदेश का सुगम यातायात भी निवेशकों को आकर्षित करता है। योगी सरकार ने यूपी में 6 एक्सप्रेस वे, 5 इंटरनेशनल एयरपोर्ट दिये हैं। इसके साथ ही 9 एयरपोर्ट संचालित हैं और 10 एयरपोर्ट निर्माणाधीन हैं। प्रदेश के पांच शहरों में मेट्रो की सुविधा उपलब्ध है और पांच शहरों में निर्माणाधीन अथवा प्रस्तावित है। निर्वाध विद्युत आपूर्ति और प्रचुर जल संसाधन ने निवेशकों को उत्तर प्रदेश की तरफ आकर्षित किया है।

उत्तर प्रदेश को औद्योगिक निवेश का ग्लोबल हब बनाने के लिए जारी कोशिशों के बीच पिछले दिनों यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआईएसपीएफ) के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। मुख्यमंत्री से मिलने वाले 30 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में यूएसआईएसपीएफ के प्रेसिडेंट और सीईओ मुकेश अघी, बैंक ऑफ द वेस्ट की प्रेसिडेंट और सीईओ नंदिता बख्शी, स्पाइस जेट के चेयरमैन अजय सिंह, मेटा (फेसबुक) के पब्लिक पॉलिसी हेड राजीव अग्रवाल, स्टैंडर्ड चार्टर्ड के सीईओ जरीन दारूवाला, भारत सरकार के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल सहित स्वास्थ्य, रक्षा, शिक्षा, बैंकिंग, एविएशन, सोशल मीडिया सहित अनेक सेक्टर के दर्जन भर से अधिक सीईओ, अन्य वरिष्ठ अधिकारी व यूएसआईएसपीएफ के पदाधिकारी शामिल थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि 250 मिलियन की आबादी के साथ उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है। हमारे पास सबसे बड़ा लैंडबैंक है। उद्योग के हिसाब से औद्योगिक नीतियां हैं। मजबूत कानून व्यवस्था है। हम खाद्यान्न उत्पादन में न केवल आत्मनिर्भर हैं, बल्कि निर्यात भी कर रहे हैं। देश में सबसे अच्छी उपजाऊ जमीन उत्तर प्रदेश के पास है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यूएसए सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था। ऐसे में अगर यह दो देश मिलकर काम करें तो यह विश्व मानवता के लिए कल्याणकारी होगा। इस लिहाज से भारत और यूएसए के बीच रणनीतिक सम्बन्धों को और बेहतर करने में यूएसआईएसपीएफ की बड़ी जिम्मेदारी है। आगामी 10-12 फरवरी 2023 तक उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन कर रहा है। यह समिट इंडो-यूएस के बीच ट्रेड रिलेशंस

को और मजबूत करने का बेहतरीन मौका है। इस अहम काम में यूएसआईएसपीएफ से सहयोग की अपेक्षा है। योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बड़ा बाजार है। अमेजॉन, माइक्रोसॉफ्ट, एडोब, पेप्सिको, सिनॉप्सिस, वालमार्ट आदि कई अमेरिकी कंपनियां उत्तर प्रदेश में पहले से ही काम कर रही हैं। सभी के अनुभव अच्छे हैं। सरकार सभी के व्यावसायिक हितों का ध्यान रख रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी में निवेश करने वाले हर एक निवेशक के हितों को सुरक्षित रखने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। राज्य सरकार द्वारा निवेशकों को हर संभव सहायता दी जाएगी। प्रदेश में न केवल निवेशकों का हित सुरक्षित होगा, बल्कि उन्हें हर प्रकार का संरक्षण भी मिलेगा।

यूएसआईएसपीएफ के प्रेसिडेंट मुकेश अघी कहते हैं कि चीन में निवेश करने वाली यूएसए की कई कंपनियां उत्तर प्रदेश की ओर देख रही हैं। आगामी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट इस लिहाज से बड़ा ही उपयोगी होने वाला है। उत्तर प्रदेश के समग्र विकास के लिए यूएस-यूपी स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप फोरम का गठन किया जाएगा। चीफ सस्टेनिबिलिटी ऑफिसर, रिन्यू पॉवर फाउंडेशन के वैशाली सिन्हा ने कहा कि हमने उत्तर प्रदेश की नीतियों को देखा है। यहां का माहौल हमारे निवेश के लिए अनुकूल है। पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने कहा कि आज अगर चीन की अर्थव्यवस्था ऊंचाई पर है तो इसमें अमेरिका की बड़ी भूमिका है। नए दौर में भारत और यूएसए के रणनीतिक संबंध मजबूत हुए हैं। उत्तर प्रदेश को इसका सीधा लाभ लेने का प्रयास करना चाहिए।

बेहतर कानून व्यवस्था हो तो कैसे किसी प्रदेश का कायाकल्प हो सकता है इसका उदाहरण उत्तर प्रदेश बनकर उभरा है। दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिछले 6 वर्षों के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश विदेशी निवेशकों की पहली पसंद बना है। यूपी में 24 से ज्यादा देशों ने 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है। अब ऐसी उम्मीद की जा रही है कि अगले साल फरवरी में होने वाले ग्लोबल इंवेस्टर समिट-23 (जीआईएस) से प्रदेश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और बढ़ेगी। इससे प्रदेश में 10 लाख करोड़ रुपए के निवेश का लक्ष्य भी पूरा होने की संभावना है। सीएम योगी ने उत्तर प्रदेश में औद्योगिक माहौल बनाने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। पहले कानून-व्यवस्था को दुरुस्त किया और फिर निवेशकों को भयमुक्त वातावरण का वादा निभाया। औद्योगिक विकास विभाग ने विदेशी निवेश को लेकर बनाई डेडीकेटेड हेल्पडेस्क भी बनाया। इसका परिणाम रहा कि पिछले पांच वर्ष में 12 देशों से 26,371 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले। 39 परियोजनाओं के लिए भूमि आवंटित हुई। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इन निवेश से 38 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा। उत्तर प्रदेश में निवेश करने वाले प्रमुख निवेशक देशों में सिंगापुर, यूएस, जापान, यूके, कनाडा, जर्मनी और दक्षिण कोरिया की कंपनियां हैं।

अमेरिकी सॉफ्टवेयर कंपनी एमएक्यू भी नोएडा में निवेश करेगी। कंपनी की नोएडा में करीब 500 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना है। इसके लिए कंपनी को नोएडा प्राधिकरण ने जमीन आवंटित कर दी है। इस यूनिट में कंपनी सॉफ्टवेयर डिवेलपमेंट का काम करेगी। इस यूनिट के शुरू होने से पहले चरण में करीब 2,500 और दूसरे चरण में 3,500 लोगों को रोजगार मिलेगा। आईटी ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इन कंपनियों के अलावा भी आईटी क्षेत्र की कई और कंपनियों ने ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी में निवेश करने के प्रस्ताव दिए हैं। इन प्रस्तावों पर राज्य सरकार जल्द ही फैसला लेगी। इसमें भारतीय कंपनियों के साथ-साथ कई विदेशी कंपनियां भी शामिल हैं।
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